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ट्रंप ने GSP के तहत भारत को मिला तरजीही व्यापार का दर्जा किया खत्म, जानिए क्या है GSP और क्या होगा असर

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जीएसपी व्यापार कार्यक्रम के तहत भारत को प्राप्त लाभार्थी विकासशील देश का दर्जा खत्म कर दिया है।

Gsp facility - India TV Paisa Image Source : SOCIAL MEDIA Gsp facility 

वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जीएसपी व्यापार कार्यक्रम के तहत भारत को प्राप्त लाभार्थी विकासशील देश का दर्जा खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत ने अमेरिका को 'अपने बाजार तक समान और तर्कपूर्ण पहुंच' देने का आश्वासन नहीं दिया है। जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेंज (जीएसपी/सामान्य तरजीही प्रणाली) अमेरिका का सबसे बड़ा और पुराना व्यापार तरजीही कार्यक्रम है। इसका लक्ष्य लाभार्थी देश के हजारों उत्पादों को बिना शुल्क प्रवेश की अनुमति देकर आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि मैंने यह तय किया है कि भारत ने अमेरिका को अपने बाजार तक समान और तर्कपूर्ण पहुंच देने का आश्वासन नहीं दिया है। तदनुसार, पांच जून, 2019 से भारत को प्राप्त लाभार्थी विकासशील देश का दर्जा समाप्त करना बिल्कुल सही है। ट्रंप ने इस संबंध में अमेरिका के तमाम शीर्ष सांसदों की अपील ठुकराते हुए यह फैसला लिया है।सांसदों का कहना था कि इस कदम से अमेरिकी उद्योगपतियों को प्रतिवर्ष 30 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त शुल्क देना होगा। राष्ट्रपति ट्रंप ने चार मार्च को कहा था कि अमेरिका जीएसपी के तहत भारत को प्राप्त लाभार्थी विकासशील देश का दर्जा खत्म करने पर विचार कर रहा है। इस संबंध में भारत को मिला 60 दिन का नोटिस तीन मई को समाप्त हो चुका है।

बता दें कि अमेरिका के जीएसपी कार्यक्रम में शामिल देशों को विशेष तरजीह दी जाती है। अमेरिका उन देशों से एक तय राशि के आयात पर शुल्क नहीं लेता। अब सवाल उठता है कि यह जीएसपी क्या है और इसके वापस होने से भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा। सामान्य तरजीही प्रणाली (जीएसपी) अमेरिका द्वारा अन्य देशों को व्यापार में दी जाने वाली तरजीह की सबसे पुरानी और बड़ी प्रणाली है। इसके तहत दर्जा प्राप्त देशों को हजारों सामान बिना किसी शुल्क के अमेरिका को निर्यात करने की छूट मिलती है। भारत 2017 में जीएसपी कार्यक्रम का सबसे बड़ा लाभार्थी रहा। यह लाभ उन उत्पादों पर उठाया जाता है जिनका निर्यात अमेरिका को किया जाता है। वर्ष 2017 में भारत ने इसके तहत अमेरिका को 5.7 अरब डॉलर का निर्यात किया था। 

क्या है जीएसपी

जेनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस (जीएसपी) अमेरिकी ट्रेड प्रोग्राम है जिसके तहत अमेरिका विकासशील देशों में आर्थिक तरक्की के लिए अपने यहां बिना टैक्स सामानों का आयात करता है। अमेरिका ने दुनिया के 129 देशों को यह सुविधा दी है जहां से 4800 प्रोडक्ट का आयात होता है। अमेरिका ने ट्रेड एक्ट 1974 के तहत 1 जनवरी 1976 को जीएसपी का गठन किया था।

ये होगा असर: 40 हजार करोड़ रुपए का ड्यूटी फ्री निर्यात होगा प्रभावित

अमेरिका के जीएसपी कार्यक्रम के लाभार्थी विकासशील देशों के उत्पादों पर अमेरिका में कोई आयात शुल्क नहीं लगता। इसके तहत भारत को 5.6 अरब डॉलर (40,000 करोड़ रुपए) के एक्सपोर्ट पर छूट मिलती है। जीएसपी से बाहर होने पर भारत को यह फायदा नहीं मिलेगा। भारत जीएसपी का सबसे बड़ा लाभार्थी देश है।

बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा: भारत

हालांकि वाणिज्य सचिव अनूप वधावन का कहना है कि अमेरिका के साथ हमारे रिश्ते मजबूत हैं। व्यापार से जुड़े मुद्दों पर हम वार्ता कर रहे हैं। लेकिन मेडिकल उपकरणों के मामले में समझौता नहीं करेंगे। जीएसपी के फायदों का आर्थिक मूल्य बहुत ज्यादा नहीं है। अमेरिका से बातचीत जारी रखेंगे।

क्यों यूएस वापस लेगा ये दर्जा? ये है दलील

ट्रंप का कहना है कि उन्होंने ये फैसला इसलिए लिया है क्योंकि उन्हें भारत से ये आश्वासन नहीं मिल पाया है कि वह अपने बाजार में अमेरिकी उत्पादों को बराबर की छूट देगा। उनका कहना है कि भारत में पाबंदियों की वजह से उसे व्यापारिक नुकसान हो रहा है। भारत जीएसपी के मापदंड पूरे करने में नाकाम रहा है। बीते साल अमेरिका ने अप्रैल में जीएसपी के लिए तय शर्तों की समीक्षा शुरू की थी।

भारत में आयात शुल्क बहुत अधिक: अमेरिका

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि भारत में आयात शुल्क बहुत ज्यादा है। अमेरिका से जाने वाली एक बाइक (हार्ले डेविडसन) पर भारत 100 फीसदी टैरिफ वसूलता है, जबकि वहां से आने वाले इसी तरह के सामान पर अमेरिका कोई टैक्स नहीं लेता है। उन्होंने कहा कि हम भी भारतीय आयात पर बराबर टैरिफ लगाएंगे। अमेरिका का कहना है कि भारत में पाबंदियों की वजह से उसे व्यापारिक नुकसान हो रहा है। वह जीएसपी के मापदंड पूरे करने में नाकाम रहा है।

अमेरिका ने पिछले साल अप्रैल में जीएसपी के लिए तय शर्तों की समीक्षा शुरू की थी। तुर्की के लिए अमेरिका ने दलील दी है कि जीएसपी में शामिल होने के बाद करीब साढ़े चार दशक में उसकी (तुर्की) अर्थव्यवस्था में काफी बढ़ोतरी हुई है, वहां गरीबी कम हुई है और सकल राष्ट्रीय आय (जीएसपी/Gross domestic product) भी बढ़ी है। 

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