भारत पांच वर्षों में मोजाम्बिक से दलहन आयात दोगुना करेगा
अगले पांच वर्षों में मोजाम्बिक से तुअर और अन्य दालों का आयात दोगुना कर दो लाख टन प्रतिवर्ष करने को मंजूरी दी है।
नई दिल्ली। दलहनों की 200 रुपए किलो की ऊंचाई को छूने के बाद इसकी कीमतों को नियंत्रित करने का प्रयास कर रही सरकार ने अगले पांच वर्षों में मोजाम्बिक से तुअर और अन्य दालों का आयात दोगुना कर दो लाख टन प्रतिवर्ष करने को मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मोजाम्बिक से दलहनों के दीर्घावधिक आयात के संबंध में समझौते को मंजूरी दी। इस समझौते पर मोदी की गुरुवार को इस अफ्रीकी राष्ट्र के यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किया जाएगा।
भारत दुनिया में दलहनों का सबसे बड़ा उत्पादक देश है लेकिन उसे अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए हर वर्ष 60 से 70 लाख टन दालों की कमी पड़ती है। सूखे के कारण घरेलू उत्पादन में गिरावट की वजह से दालों की खुदरा कीमतों में भारी तेजी आई है जो 200 रुपए की ऊंचाई के लगभग जा पहुंची है। एक सरकारी बयान में कहा गया है, मंत्रिमंडल ने दोनों देशों द्वारा मनोनीत की गई राज्य की एजेंसियों के जरिए सरकार के स्तर पर अथवा निजी व्यापारियों के जरिए मोजाम्बिक से दलहनों के आयात के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए एक दीर्घावधिक अनुबंध करने को मंजूरी दी है।
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इस सहमति पत्र का ध्येय इन दलहनों के व्यापार में निरंतर वृद्धि को प्रोत्साहित करने के द्वारा मोजाम्बिक में तुअर और अन्य दलहनों के उत्पादन को प्रोत्साहित करना है। इसमें कहा गया है, सहमति पत्र में पांच वित्तीय वर्षों के लिए मोजाम्बिक से भारत को तुअर और अन्य दलहनों के निर्यात का लक्ष्य शामिल है और इसका उद्देश्य व्यापार को वर्ष 2016-17 के 1,00,000 टन से दोगुना कर वर्ष 2020-21 तक 2,00,000 टन करना है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने दालों की सुनिश्चित आपूर्ति के लिए सरकार के स्तर पर व्यवस्था करने की संभावनाओं को तलाशने के लिए पिछले महीने मोजाम्बिक और म्यांमा जैसे दलहन उत्पादन करने वाले देशों का दौरा किया था।
दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, एक क्रांतिकारी फैसले के तहत हमने मोजाम्बिक के साथ सरकार के स्तर पर व्यवस्था की है। हम उन्हें फसल उगाने और उसे खरीदने में मदद करेंगे। यह भारत में दलहनों की कमी को हल करने के संबंध में एक बड़ा फैसला है। उन्होंने कहा कि सरकार दलहनों का उत्पादन बढ़ाने का भी प्रयास कर रही है और जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई भी कर रही है। प्रसाद ने कहा, भारत में, हम तुअर और उड़द दाल खाते हैं जिसे कुछ ही देशों में उगाया जाता है। हम म्यांमा और कुछ अन्य देशों से आयात करते हैं। लेकिन यह हमारे स्वाद के अनुरूप नहीं होता। उन्होंने कहा कि सरकार का मुख्य ध्यान दलहनों की सुनिश्चित आपूर्ति को सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि मोजाम्बिक में भारत के स्वाद के अनुरूप फसल को उगाया जायेगा और सरकार के स्तर पर इसकी निगरानी की जाएगी।
फसल वर्ष 2015-16 (जुलाई से जून) में दलहनों का उत्पादन घटकर एक करोड़ 70.6 लाख टन रह गया जो उत्पादन पिछले वर्ष एक करोड़ 71.5 लाख टन का हुआ था। वर्ष 2013-14 में उत्पादन 1.9 करोड़ टन का हुआ था। हाल में सरकार ने दलहन के बफर स्टॉक की सीमा को बढ़ाकर आठ लाख टन करने का फैसला किया ताकि खुदरा बाजार में कीमतों के बढ़ने पर बाजार हस्तक्षेप किया जा सके। सरकार दालों की घरेलू आपूर्ति को बढ़ाने के लिए इनका आयात भी कर रही है। अभी तक बफर स्टॉक बनाने के लिए किसानों से 1.19 लाख टन दलहन की खरीद की गई है और आयात के लिए 46,000 टन दालों का अनुबंध किया गया है।
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