भारत को 2024 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य चुनौतीपूर्ण लेकिन संभव: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि देश को 2024 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य चुनौतीपूर्ण है लेकिन राज्यों के साथ संयुक्त प्रयास से इसे हासिल किया जा सकता है।
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि देश को 2024 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य चुनौतीपूर्ण है लेकिन राज्यों के साथ संयुक्त प्रयास से इसे हासिल किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने साथ में हर भारतीय को अधिकार सम्पन्न बनाने और लोगों की जिंदगी अधिक सुगम बनाने के कार्य पर भी जोर दिया। मोदी नीति आयोग संचालन परिषद की पांचवीं बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में किया गया।
पत्र सूचना कार्यालय की एक विज्ञप्ति के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने ‘टीम इंडिया’ के रूप में आयोजित इस सम्मेलन में अपने प्रारंभिक संबोधन में देश में गरीबी, बेरोजगारी, सूखा, बाढ़, प्रदूषण भ्रष्टाचार और हिंसा आदि के खिलाफ सामूहिक लड़ाई का आह्वान किया। मोदी ने 17वीं लोक सभा के चुनाव को दुनिया में लोकतंत्र का सबसे बड़ी कवायद बताया और कहा कि अब समय है कि सब मिल कर भारत के विकास में लग जाएं। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि ‘‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के मंत्र को पूरा करने में नीति आयोग को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।’’ उन्होंने आयोग की संचालन परिषद के सभी सदस्यों से ‘‘सरकार का ऐसा ढांचा तैयार करने में मदद का आह्वान किया जो कारगर हो और जिसमें लोगों का भरोसा हो।’’
सहयोगपूर्ण संघवाद के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘देश को 2024 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन इसमें राज्यों के संयुक्त प्रयास के साथ इसे हासिल किया जा सकता है।’’ देश के विकास में निर्यात की अहमियत को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने के लिये केंद्र तथा राज्यों दोनों को निर्यात में वृद्धि की दिशा में काम करना चाहिए। पूर्वोत्तर समेत कई राज्यों में निर्यात के क्षेत्र में काफी संभावना है जिसका उपयोग नहीं हुआ है।’’ उन्होंने कहा कि राज्यों के स्तर पर निर्यात पर जोर से आय और रोजगार को गति मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यहां बैठे सभी लोगों का 2022 तक नया भारत बनाने का एक साझा लक्ष्य है।’’
उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान और प्रधानमंत्री आवास योजना का उदाहरण देते हुए कहा कि केंद्र और राज्य मिलकर क्या नहीं कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सशक्तिकरण और जीवन सुगमता हर भारतीय को उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा, ‘‘महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ के के लिये जो लक्ष्य रखे गये हैं, उसे हर हाल में हासिल किया जाना चाहिए और आजादी की 75वीं वर्षंगांठ को लेकर जो लक्ष्य रखे गये हैं, उसे हासिल करने की दिशा में काम करना चाहिए।’’ प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि अल्पकालीन और दीर्घकालीन लक्ष्यों को हासिल करने के लिये सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर होना चाहिए। जीवन के लिये जल को महत्वपूर्ण तत्व बताते हुए मोदी ने कहा कि जल संरक्षण के अपर्याप्त प्रयासों का असर सबसे ज्यादा गरीबों पर पड़ता है।
उन्होंने कहा, ‘‘नवगठित जल शक्ति मंत्रालय जल प्रबंधन के विषय में एक समन्वित दृष्टिकोण अपनाने में मदद करेगा। राज्यों को भी जल संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में अपने विभिन्न प्रयासों को समन्वित करना चाहिए।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘उपलब्ध जल संसाधन का प्रबंधन अत्यंत जरूरी है। हमारा 2024 तक सभी घरों को पाइप के जरिये जल आपूर्ति का लक्ष्य है।’’ उन्होंने कहा कि जल संरक्षण और जल स्तर बढ़ाने पर ध्यान देना है। उन्होंने जल संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में कई राज्यों के प्रयासों की सराहना की। मोदी ने कहा, ‘‘जल संरक्षण और प्रबंधन के लिये इमारतों के निर्माण से जुड़े प्रावधानों जैसे नियम और नियमन भी तैयार करने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत जिला सिंचाई योजनाओं को सावधानीपूर्वक क्रियान्वित किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने सूखे की स्थिति से निपटने के लिये प्रभावी कदम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘‘प्रति बूंद, अधिक फसल की भावना को बढ़ाने की जरूरत है।’’ केंद्र सरकार की 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि मत्स्यन, पशुपालन, बागवानी, फसल और सब्जियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और किसानों से जुड़ी अन्य योजनाओं का लाभ निश्चित समय के भीतर लाभार्थियों तक पहुंचना चाहिए। कृषि क्षेत्र में संरचनात्मक सुधारों की जरूरत पर बल देते हुए मोदी ने कहा, ‘‘कंपनियों के निवेश, लाजिस्टिक को मजबूत बनाने तथा पर्याप्त बाजार समर्थन उपलब्ध कराने की जरूरत है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि खाद्य उत्पादन के मुकबले खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में तेजी से विकास होना चाहिए।
विकास की आकांक्षा पाले पिछड़े जिलों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जोर बेहतर राजकाज पर होना चाहिए। संचालन व्यवस्था में सुधार से कई पिछड़े जिलों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘इन जिलों में अलग हटकर किये गये उपाय तथा अनूठी सेवा डिलिवरी प्रयासों से अच्छे परिणाम आये हैं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि कई पिछड़े जिले नक्सल हिंसा से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा, ‘‘नक्सली हिंसा के खिलाफ लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर है। विकास में तेजी लाते हुए हिंसा से कड़ाई से निपटा जाएगा।’’ स्वास्थ्य क्षेत्र के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि 2022 तक कई लक्ष्यों को हासिल करने को ध्यान में रखना है। उन्होंने 2025 तक टीबी को समाप्त करने के लक्ष्य का जिक्र किया। उन्होंने उन राज्यों से आयुष्मान भारत के तहत पीएमजेएवाई से यथाशीघ्र जुड़ने का आह्वान किया जो अबतक इसमें शामिल नहीं हुए है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम हम कार्य-प्रदर्शन, पारदर्शिता और प्रतिपादन की विशेषता वाली शासन व्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘योजनाओं का समुचित तरीके से क्रियान्वयन और निर्णय महत्वपूर्ण है।’’ इस बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को छोड़कर सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल और सभी वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री हिस्सा ले रहे हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टर अमरिन्द्र सिंह भी स्वास्थ्य कारणों से इसमें शामिल नहीं हुए। उनका प्रतिनिधित्व राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने किया।
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