नयी दिल्ली। देश ने अब बिजली की किल्लत को गुडबाय कहने की तैयारी शुरू कर दी है। केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष में 1,178 अरब यूनिट बिजली उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। इस लक्ष्य के बाद भारत ऊर्जा अधिशेष राष्ट्र की श्रेणी में शामिल हो जाएगा। वित्त वर्ष 2016-17 की लोड जेनरेशन बैलेंस रिपोर्ट (एलजीबीआर) के अनुसार केंद्र सरकार ने सामान्य समय में 1.1 प्रतिशत और व्यस्त समय में 2.6 प्रतिशत अधिशेष बिजली के साथ इस साल 1,178 अरब यूनिट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
सरकार पूर्व में एलजीबीआर में बिजली घाटा के हिसाब से उत्पादन की योजना बनाती रही है। यह रिपोर्ट हर साल मांग और आपूर्ति की स्थिति का अंदाजा लगाने के लिए जारी की जाती है। यह रिपोर्ट केंद्रीय बिजली प्राधिकारण तैयार करता है और सरकार राज्यों, बिजली कंपनियों और विभिन्न क्षेत्रों की बिजली उत्पादन इकाइयों से प्राप्त जानकारी के आधार पर इसे अंतिम रूप देती है।
इस रिपोर्ट में 2016-17 के लिए उत्पादन क्षमता में 16,654.5 मेगावाट वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया है। इससे राज्यों के घाटे को खत्म होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में भूटान से आयात तथा गैर परंपरागत स्रोतों से बिजली की उपलघ्यता का भी हिसाब रखा गया है।
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