कोयले की कीमतों में वृद्धि के कारण संकट, 3-4 दिन में ठीक हो जाएगी स्थिति: केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी
देश के कई इलाकों में अत्यधिक वर्षा के कारण कोयला की आवाजाही प्रभावित होने से दिल्ली और पंजाब समेत कई राज्यों में बिजली संकट गहरा गया है।
नयी दिल्ली: देश में बढ़ते कोयला संकट के बीच केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शनिवार को कहा कि कोयले की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि के कारण बिजली उत्पादन घटा है लेकिन यह स्थिति तीन-चार दिन में ठीक हो जायेगी। उन्होंने एक किताब के अनावरण कार्यक्रम के इतर संवाददाताओं से कहा कि देश के कई इलाकों में अत्यधिक वर्षा से भी बिजली उत्पादन संयत्रों में कोयले की कमी हुई है।
जोशी ने कहा, ‘‘हम अगर आप पिछले कई वर्षों से तुलना करेंगे तो सितंबर माह के दौरान कोयला का उत्पादन और आपूर्ति उच्चतम स्तर पर हुयी है और विशेष कर अक्टूबर महीने के दौरान। अगले तीन से चार दिनों में स्थिति ठीक हो जायेगी।’’
उन्होंने कहा कि आयातित कोयले की अंतरराष्ट्रीय कीमत अचानक से बढ़ गई है। आयातित कोयले का इस्तेमाल करने वाले बिजली संयंत्रों ने बिजली उत्पादन बंद कर दिया। उन्होंने उत्पादन बंद कर दिया है इसलिए बिजली उत्पादन का पूरा भार अब घरेलू कोयले पर है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह अगले एक-दो दिनों में कोयले की उपलब्धता को लेकर 'पूरी जानकारी' साझा करेंगे।
अत्यधिक वर्षा के कारण कोयला की आवाजाही प्रभावित होने से देश में बिजली संकट गहराया
देश के कई इलाकों में अत्यधिक वर्षा के कारण कोयला की आवाजाही प्रभावित होने से दिल्ली और पंजाब समेत कई राज्यों में बिजली संकट गहरा गया है। आयातित कोयला कीमतों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की वजह से आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्र अपनी क्षमता के आधे से भी कम बिजली का उत्पादन कर रहे हैं। इन दो कारणों से बिजली उत्पादन क्षेत्र दोहरे दबाव में है। देश में इस वर्ष कोयला का हालांकि रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है, लेकिन अत्यधिक वर्षा ने कोयला खदानों से बिजली उत्पादन इकाइयों तक ईंधन की आवाजाही को ख़ासा प्रभावित किया है।
गुजरात, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और तमिलनाडु समेत कई राज्यों में बिजली उत्पादन पर इसका गहरा असर पड़ा है। कोयला संकट के कारण पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, झारखंड, बिहार और आंध्रप्रदेश में भी बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई है। एक तरफ बिजली उत्पादकों और वितरकों ने केवल दो दिन का कोयला बचा होने का दावा करते हुए जहां बिजली कटौती की चेतावनी दी है, वही कोयला मंत्रालय का कहना है कि देश में पर्याप्त कोयले का भंडार है और माल की लगतार भरपाई की जा रही है।
इसके अलावा बिजली उत्पन्न करने के लिए आयातित कोयले का उपयोग करने वाले बिजली संयंत्रों ने कीमतों में उछाल के कारण या तो उत्पादन कम कर दिया है या पूरी तरह से बंद कर दिया है। गुजरात को 1850, पंजाब को 475, राजस्थान को 380, महाराष्ट्र को 760 और हरियाणा को 380 मेगावाट बिजली की आपूर्ति करने वाली टाटा पावर ने गुजरात के मुंद्रा में अपने आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्र से उत्पादन बंद कर दिया है। अडाणी पावर की मुंद्रा इकाई को भी इसी तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
कोयला मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, “खदानों में लगभग चार करोड़ टन और बिजली संयंत्रों में 75 लाख टन का भंडार है। खदानों से बिजली संयंत्रों तक कोयला पहुंचना परेशानी रही है क्योंकि अत्यधिक बारिश के कारण खदानों में पानी भर गया है। लेकिन अब इसे निपटाया जा रहा है और बिजली संयंत्रों को कोयला की आपूर्ति बढ़ रही है।” इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने बिजली संकट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र को एक पत्र लिखा है।
उन्होंने पत्र में कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से इस स्थिति पर नजर रख रहे हैं और ऐसी स्थिति न आए इसके लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस.जगन मोहन रेड्डी ने भी प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा, “कटाई के अंतिम चरण में अधिक पानी की आवश्यकता होती है और यदि पानी नहीं मिलता, तो खेत सूख जाते हैं और किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।”
इस संबंध में टाटा पावर के एक प्रवक्ता ने कहा, “हमने मुंद्रा स्थित अपने बिजली संयंत्र में उत्पादन बंद कर दिया है। आयातित कोयले की उच्च लागत के कारण वर्तमान बिजली खरीद करार के तहत बिजली की आपूर्ति करना असंभव जैसा है।” अडाणी पावर ने इस संकट पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।