लंदन: भारत ने ग्लासगो में सीओपी26 जलवायु शिखर सम्मेलन के पहले सप्ताह के समापन पर एक सतत कृषि कार्य एजेंडा पर हस्ताक्षर किया। इस एजेंडा में कृषि को अधिक स्थायी और कम प्रदूषणकारी बनाने के लिए नई प्रतिबद्धताओं को निर्धारित किया है। इसके साथ ही भारत इस पर हस्ताक्षर करने वाले 27 देशों में शामिल हो गया है।
'सस्टेनेबल एग्रीकल्चर पॉलिसी एक्शन एजेंडा फॉर द ट्रांजिशन टू सस्टेनेबल एग्रीकल्चर एंड ग्लोबल एक्शन एजेंडा फॉर इनोवेशन इन एग्रीकल्चर' शनिवार को जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के 26वें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी26) में भाग लेने वाले देशों द्वारा किए जाने वाले प्रमुख कार्य संकल्पों में से एक है।
देशों ने कृषि को अधिक स्थायी और कम प्रदूषणकारी बनने के लिए अपनी कृषि नीतियों को बदलने और सतत कृषि तथा जलवायु परिवर्तन से खाद्य आपूर्ति की रक्षा के लिए आवश्यक विज्ञान (प्रोद्यौगिकी) में निवेश करने के लिए नई प्रतिबद्धताएं निर्धारित कीं।
भारतीय मूल के ब्रिटेन के मंत्री आलोक शर्मा ने कहा, ‘‘अगर हमें ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करना है और 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को बनाए रखना है, तो दुनिया को भूमि का सतत उपयोग करने और प्रकृति के संरक्षण पर सबसे अधिक ध्यान देने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज की जा रही प्रतिबद्धताओं से पता चलता है कि पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रकृति के संरक्षण और भूमि के सतत उपयोग को आवश्यक माना जा रहा है और यह जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान के दोहरे संकटों को दूर करने में योगदान देगा। इस बीच, जैसा कि हम सीओपी के दूसरे सप्ताह में बातचीत के लिए तत्पर हैं, मैं सभी पक्षों से रचनात्मक समझौतों और महत्वाकांक्षाओं के साथ मेज पर आने का आग्रह करता हूं।”
भारत के अलावा इस कार्य योजना पर हस्ताक्षर करने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, युगांडा, मेडागास्कर, तंजानिया, वियतनाम, नाइजीरिया, लेसोथो, लाओस, इंडोनेशिया, गिनी, घाना, जर्मनी, फिलीपींस, इथियोपिया, ब्रिटेन, कोलंबिया, कोस्टा रिका, मोरक्को, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नाइजीरिया, सिएरा लियोन, स्पेन, स्विट्जरलैंड और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं।
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