मुंबई: मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने शुक्रवार को कहा कि सरकार द्वारा लिए जा रहे आर्थिक सुधारों और कोविड टीकाकरण में तेजी को देखते हुए वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत की वृद्धि दर 6.5 से 7 प्रतिशत के बीच रह सकती है। उन्होंने कहा उम्मीद है कि कोविड-19 की दूसरी लहर का अर्थव्यवस्था पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। वही वित्त वर्ष 2020-21 में देश की अर्थव्यवस्था में 7.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी।
डन एंड ब्रेडस्ट्रीट द्वारा आयोजित वीडियो-कांफ्रेंस के जरिए आयोजित सम्मेलन में सुब्रमण्यम ने कहा, “आर्थिक सुधारों और कोविड टीकाकरण में तेजी से मुझे उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2023 में वृद्धि दर 6.5 और 7 प्रतिशत रह सकती है।” उन्होंने कहा, “पिछले एक साल या छह माह में लिए गए महत्वपूर्ण सुधार क़दमों के बल पर मुझे यह कहने में कोई झिझक महसूस नहीं होती है कि दशक के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था उच्च स्तर पर रहेगी।"
उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 की अंतिम तिमाही में आर्थिक स्थिति सामान्य होने के नजदीक थी लेकिन कोविड की दूसरी लहर ने उसे कुछ प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि देश को महामारी के प्रकोप से बचाने के लिए टीकाकरण बहुत जरुरी है। टीकाकरण से कोविड19 को एक सामान्य संक्रमण में तब्दील करना भी महत्वपूर्ण है।
सम्मेलन में प्रधानमंत्री की आर्थिक लाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के अध्यक्ष विवेक देब रॉय ने कहा कि जीडीपी विकास दर पिछले साल के आधार पर निर्भर करती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर दस प्रतिशत के आस-पास रहेगी।
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