MEIL ने बनाई भारत की पहली स्वदेशी हाइड्रोलिक रिग, पहली रिग ने किया कलोल ऑयल फील्ड में काम शुरू
2019 में MEIL को 47 ड्रिलिंग रिग का निर्माण करने के लिए 6000 करोड़ रुपये का पहला कॉन्ट्रैक्ट मिला था।
नई दिल्ली। मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर्स लिमिटेड (MEIL) निजी क्षेत्र की पहली कंपनी बन गई है, जिसने आधुनिक तकनीक के साथ तेल और ईंधन निष्कर्षण में इस्तेमाल होने वाले स्वदेशी रिग का निर्माण किया है। केंद्र सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अनुसार MEIL ने देश में पहली बार इन रिग का निर्माण किया है। इन्हें आधुनिक तकनीक और हाइड्रोलिक सिस्टम के साथ डिजाइन किया गया है। MEIL उपाध्यक्ष पि.राजेश रेड्डि ने कहा कि 7 अप्रैल को अहमदाबाद में कलोल तेल क्षेत्र में ड्रिलिंग अभियान शुरू किया है। 1500 HP की क्षमता वाले यह ड्रिलिंग रिग जमीन की सतह से 4000 मीटर (4 किलोमीटर) गहराई तक तेल कुओं को आसानी से खोद सकती है। MEIL द्वारा निर्मित ये रिग 40 वर्षों तक बिना रुकावट काम करेंगे।
2019 में MEIL को 47 ड्रिलिंग रिग का निर्माण करने के लिए 6000 करोड़ रुपये का पहला कॉन्ट्रैक्ट मिला था। इसके तहत पहली रिग को अहमदाबाद के तेल क्षेत्रों में उपयोग में लाया गया है। शेष 46 रिग निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। कुल रिग में से 20 वर्क ओवर रिग हैं। यह रिग्ग का उपयोग ड्रिल किए गए कुओं से तेल निकालने के लिए किया जाता है और साथ ही तेल कुओं की उत्पादकता बढ़ाने और तेल कुओं की मरम्मत के लिए भी यह रिग सुविधा जनक हैं। साधारण रिग इस तरह के काम करने के लिए उपयोगी साबीत नहीं होते है। शेष 27 लैंड ड्रिलिंग रिग हैं। लैंड ड्रिलिंग रिग्ज एक अत्याधुनिक मशीन है जो जमीन की सतह से भूमिगत तेल जमा करने के लिए पृथ्वी की परतों को खोदती है। यह 1500 मीटर से 6000 मीटर तक खुदाई कर सकती है, जबकि सामान्य रिग्स केवल 1000 मीटर तक खुदाई कर सकती हैं।
20 में से 12 रिग 50 MT क्षमता के हैं, 4 रिग 100 MT क्षमता के हैं। MEIL द्वारा 150 मेट्रिक टन की क्षमता वाले 4 रिग का भी निर्माण किया जा रहा है। 1500 HP की क्षमता वाले 2 लैंड ड्रिलिंग रिग बनाए गए हैं और 1500 HP AC VFD की क्षमता वाले 17 रिग निर्माण कार्य पूरा हो गया है।
पी राजेश रेड्डी ने कहा कि भारत की नवरत्न कंपनियों में से एक ONGC के लिए मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत एडवांस तकनीक वाली यह रिग की आपूर्ति करना बहुत गर्व की बात है। इससे घरेलू तेल उत्पादन में वृद्धि और आयात को कम करके घरेलू अर्थव्यवस्था में सुधार करने में बहुत ही मदद मिलेगी। इन आधुनिक तकनीक वाली रिग से ONGC को भी लाभ होगा।