नई दिल्ली। भारत की अर्थव्यवस्था में मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान महामारी की वजह से रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिल सकती है, और जीडीपी में रिकवरी अगले वित्त वर्ष से ही शुरू होगी। रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने ये अनुमान दिया है। एजेंसी के मुताबिक इस साल देश की कमजोर आर्थिक स्थिति में और दबाव देखने को मिलेगा, जिससे सरकार की अर्थव्यवस्था को मदद देने की क्षमता भी सीमित होगी। हालांकि विदेशी मुद्रा भंडार में रिकॉर्ड बढ़त से भारत को कुछ राहत भी मिलेगी। फिलहाल भारत का मौजूदा विदेशी मुद्रा भंडार 19 महीने से ज्यादा के आयात बिल के लिए पर्याप्त है।
इसके साथ ही रेटिंग एजेंसी ने भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को बीबीबी माइनस पर बरकरार रखा है। एजेंसी ने कहा कि भारत की लंबी अवधि की रेटिंग के लिए उसका आउटलुक स्थिर (स्टेबल) है। जिसका मतलब है कि एजेंसी को आने वाले समय में अर्थव्यवस्था में रिकवरी की उम्मीद है। रेटिंग एजेंसी के स्केल पर बीबीबी (-) सबसे खराब इनवेस्टमेंट ग्रेड है। इस रेटिंग का मतलब है कि देश अपनी वित्तीय देनदारियों को पूरा कर सकता है, हालांकि आर्थिक परिस्थितियों की वजह से जोखिम भी बना हुआ है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था पर कोरोना संकट का काफी बुरा असर देखने को मिला है। महामारी के पहले की स्थिति के मुकाबले देश के उत्पादन में 13 फीसदी की स्थाई नुकसान देखने को मिला है। एजेंसी के मुताबिक देश की प्रमुख क्रेडिट कमजोरियां यानि सरकारी घाटा और ऊंचे कर्ज पर बुरा असर देखने को मिला है। महामारी की वजह से इन पर दबाव बढ़ गया है। इसके साथ ही आर्थिक गतिविधियों में आई सुस्ती की वजह से सरकार की आय पर भी बुरा असर देखने को मिलेगा। पहली तिमाही के दौरान भारत की जीडीपी में करीब 23 फीसदी की रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिली थी। अलग अलग एजेंसियों ने अनुमान दिया है कि दूसरी तिमाही में भी अर्थव्यवस्था में गिरावट देखने को मिलेगी, इस दौरान 9 फीसदी या उससे ज्यादा की गिरावट का अनुमान दिया जा रहा है।
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