नई दिल्ली। देश में कपास फसल उत्पादन 2018-19 सत्र में 7.87 प्रतिशत घटकर 343 लाख गांठ (170 किलो प्रत्येक) रह सकता है। इस गिरावट का मुख्य कारण कपास उगाने वाले कई क्षेत्रों में सूखा पड़ना है। सिटी द्वारा जारी अनुमान में यह संभावना व्यक्त की गई है।
भारतीय कपड़ा उद्योग परिसंघ (सिटी) के अध्यक्ष संजय जैन ने कह कि सितंबर 2018 को समाप्त पिछले सत्र में कपास फसल का उत्पादन 370 लाख गांठ था। उन्होंने कहा कि पिछले 12 वर्षों में सबसे खराब उत्पादन 348 लाख गांठ का रहा है, जो चालू सत्र के 343 लाख गांठ के उत्पादन अनुमान से कहीं अधिक है।
इस घरेलू कपड़ा उद्योग निकाय ने यह आंकड़ा, अक्टूबर-सितंबर 2018 फसल सत्र के लिए कपास उत्पादक क्षेत्रों से एकत्रित वास्तविक आंकड़ों के अनुमानों पर व्यक्त किया है। कपास सलाहकार बोर्ड ने 22 नवंबर, 2018 को कपास फसल 361 लाख गांठ होने का अनुमान लगाया था।
जैन ने कहा कि गुजरात के कई कपास उत्पादक क्षेत्रों में, महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों और अन्य कपास उगाने वाले राज्यों के कुछ क्षेत्रों में पैदावार प्रभावित हुई है। सिटी के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि अप्रैल 2019 के लिए अपनी रिपोर्ट में अंतर्राष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति ने 2019-20 के लिए वैश्विक उत्पादन में 6 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2.76 करोड़ टन और 2019-20 के लिए अंत में अत्यधिक भंडार का अनुमान लगाया है।
जैन ने कहा कि वैश्विक उत्पादन में 6 प्रतिशत की वृद्धि के साथ कपास की कीमतें स्थिर और सीमित दायरे में रहने की संभावना है। भारत में जून 2019 से मानसून के जल्द आगमन और आयात बढ़ने से कपास कीमतों पर दबाव रह सकता है।
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