नई दिल्ली। देश का कोयला उत्पादन बीते वित्त वर्ष 2020-21 में 2.02 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 71.60 करोड़ टन रह गया। इससे पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में कोयला उत्पादन 73.08 करोड़ टन रहा था। कोयला मंत्रालय के 2020-21 के अस्थायी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।
आंकड़ों के अनुसार बीते वित्त वर्ष में 71.60 करोड़ टन के कुल कोयला उत्पादन में नॉन-कोकिंग कोयले का हिस्सा 67.12 करोड़ टन और कोकिंग कोयले का 4.47 करोड़ टन रहा। देश के कुल कोयला उत्पादन में 68.59 करोड़ टन का उत्पादन सार्वजनिक क्षेत्र ने और शेष 3.01 करोड़ टन का उत्पादन निजी क्षेत्र ने किया।
छत्तीसगढ़ कोयला उत्पादन में अव्वल
बीते वित्त वर्ष 2020-21 में छत्तीसगढ़ ने सबसे अधिक 15.84 करोड़ टन का कोयला उत्पादन दर्ज किया। ओडिशा 15.41 करोड़ टन के उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर रहा। उसके बाद मध्य प्रदेश 13.25 करोड़ टन और झारखंड 11.92 करोड़ टन का स्थान रहा। बीते वित्त वर्ष में झारखंड 4.43 करोड़ टन के साथ सबसे बड़ा कोकिंग कोयला उत्पादक रहा। कुल कोकिंग कोयले के 4.47 करोड़ टन के उत्पादन में झारखंड का हिस्सा 99.11 प्रतिशत रहा।
महामारी का दिखा प्रभाव
कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि महामारी का प्रभाव सभी ओर पड़ा, लेकिन इसके बावजूद कोयला क्षेत्र ने अपनी जुझारू क्षमता का प्रदर्शन किया। इससे देश की अर्थव्यवस्था में कोयला क्षेत्र के योगदान का पता चलता है। कोयला सचिव अनिल कुमार जैन ने कहा कि कोयला देश की ऊर्जा प्रणाली की रीढ़ है और देश की वाणिज्यिक प्राथमिक ऊर्जा आपूर्ति में इस क्षेत्र का हिस्सा 58 प्रतिशत है। देश के कुल कोयला उत्पादन में सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया लि. की हिस्सेदारी 83.26 प्रतिशत है।
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