नई दिल्ली। भारत का वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की ताजा ह्यूमन कैपिटल इंडेक्स में 130 देशों की लिस्ट में 105वां स्थान है। इस लिस्ट में फिनलैंड टॉप पर है। यह इंडेक्स इस बात का संकेत है कि कौन सा देश अपने लोगों के पालन-पोषण, शिक्षण-प्रशिक्षण और विकास तथा प्रतिभाओं के उपयोग में कितना आगे है। इस मामले में भारत चीन से काफी पीछे है। चीन की रैंक 71वीं है, जबकि बांग्लादेश, भूटान और श्रीलंका काफी ऊपर हैं।
पाकिस्तान 118वें स्थान पर है। डब्ल्यूईएफ ने भारत को 105वें स्थान पर रखते हुए कहा है कि देश ने अपनी मानव पूंजी की संभावनाओं का सिर्फ 57 फीसदी ही इस्तेमाल कर पा रहा है। भारत पिछले साल इस इंडेक्स में शामिल 124 देशों में 100वें स्थान पर था। इब्ल्यूईएफ ने कहा है कि विभिन्न आयु वर्गों में शिक्षा के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियां बढ़ी हैं पर इसकी युवा साक्षरता दर अभी सिर्फ 90 फीसदी है। इस मामले में भारत का विश्व में 103वां स्थान है और अन्य प्रमुख उभरते बाजारों से नीचे है।
महिलाओं की भागीदारी काफी कम
रिपोर्ट में कहा गया है, भारत के श्रम बल में महिलाओं की भागीदार काफी पीछे है और ऐसा आंशिक तौर पर विश्व में रोजगार के मामले में स्त्री-पुरष असमानता के मामले में अंतर अधिक होने के कारण है। सकारात्मक पक्ष यह है कि भारत को शैक्षणिक प्रणाली (39वां) की गुणवत्ता के लिहाज से बेहतर स्थान मिला है। इसके अलावा कर्मचारी प्रशिक्षण में 46वें और कुशल कर्मचारियों की उपलब्धता से जुड़े संकेतक में 45वें स्थान पर है। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया कि भारत में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में डिग्रीधारकों की संख्या करीब 7.8 करोड़ है, जबकि चीन में इनकी संख्या करीब 25 लाख है।
फिनलैंड, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड टॉप 3 देश
इस इंडेक्स में फिनलैंड, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड टॉप तीन स्थान पर हैं जो अपनी मानव पूंजी का 85 फीसदी तक उपयोग करते हैं। जहां तक 55 साल से इससे अधिक उम्र की प्रतिभाओं के इस्तेमाल का सवाल है जापान इसमें आगे है। डब्ल्यूईएफ के संस्थापक एवं कार्यकारी चेयरमैन क्लॉस श्वाब ने कहा, आज चौथी औद्योगिक क्रांति के दौर में प्रवेश के दौर में शासन प्रणाली का संकट विश्व के शैक्षणिक समुदाय और नियोक्ताओं के लिए यह अनिवार्य बनाता है कि वे मूल रूप से संवाद और भागीदारी के जरिए मानव पूंजी पर विचार करें।
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