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Hindi News पैसा बिज़नेस महिला उद्यमियों की संख्या के मामले में भारत निचले स्थान पर, पहले पायदान पर न्यूजीलैंड तो अमेरिका तीसरे नंबर पर

महिला उद्यमियों की संख्या के मामले में भारत निचले स्थान पर, पहले पायदान पर न्यूजीलैंड तो अमेरिका तीसरे नंबर पर

भारत महिला उद्यमियों की संख्या के मामले में निचले स्थान पर है। एक सर्वेक्षण के अनुसार महिला कारोबार स्वामित्व सूचकांक में भारत की स्थिति काफी खराब है।

महिला उद्यमियों की संख्या के मामले में भारत निचले स्थान पर, पहले पायदान पर न्यूजीलैंड तो अमेरिका तीसरे नंबर पर- India TV Paisa महिला उद्यमियों की संख्या के मामले में भारत निचले स्थान पर, पहले पायदान पर न्यूजीलैंड तो अमेरिका तीसरे नंबर पर

मुंबई। भारत महिला उद्यमियों की संख्या के मामले में निचले स्थान पर है। एक सर्वेक्षण के अनुसार महिला कारोबार स्वामित्व सूचकांक में भारत की स्थिति काफी खराब है। इसकी वजह यह है कि यहां अभी महिला उद्यमियों की सफलता के लिए अनुकूल वातावरण नहीं बन पाया है।

सूची में 74.4 अंक के साथ न्यूजीलैंड पहले स्थान पर है। कनाडा 72.4 अंक के साथ दूसरे और 69.9 अंक के साथ अमेरिका तीसरे स्थान पर है।    

महिलाओं के पिछड़ने की ये है वजह

  • महिला उद्यमियों पर मास्टरकार्ड इंडेक्स के अनुसार, दुनिया भर और भारत में महिला उद्यमी गैर परंपरागत कारोबारों में अपना स्थान बना रही हैं।
  • भारत में अभी महिला उद्यमशीलता की क्षमता का पर्याप्त दोहन किए जाने की संभावना है।
  • इस इंडेक्स में 54 अर्थव्यवस्थाओं में भारत 41.7 अंक के साथ 49वें स्थान पर है।

ऐसे तैयार की गई लिस्ट

यह इंडेक्स एशिया प्रशांत, पश्चिम एशिया और अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, लातिनी अमेरिका और यूरोप की 54 अर्थव्यवस्थाओं में 12 संकेतकों और उप संकेतकों के आधार पर तैयार किया गया है। इन अर्थव्यवस्थाओं में दुनिया का 78.6 प्रतिशत महिला श्रमबल है।

रिश्‍वत मांगने में पुलिस सबसे आगे

  • एक सर्वे में कहा गया है कि रिश्वत की मांग करने वाले लोकसेवकों में पुलिस का स्थान सबसे ऊपर रहा।
  • सर्वेक्षण में 85 प्रतिशत ने कहा कि पुलिस में कुछ अथवा सभी भ्रष्ट हैं। धार्मिक नेताओं के मामले में यह प्रतिशत 71 रहा।
  • सर्वेक्षण में केवल 14 प्रतिशत भारतीयों ने कहा कि कोई भी धार्मिक नेता भ्रष्ट नहीं है, जबकि 15 प्रतिशत उनके भ्रष्ट तरीकों से वाकिफ नहीं थे।
  • पुलिस के बाद पांच सर्वाधिक भ्रष्ट श्रेणी में सरकारी अधिकारी (84 प्रतिशत), कारोबारी अधिकारी (79 फीसदी), स्थानीय पार्षद (78 प्रतिशत) और सांसद (76 फीसदी) रहे, जबकि कर अधिकारी छठे स्थान (74 फीसदी) पर हैं ।

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