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वैश्विक रीयल्टी पादर्शिता सूचकांक में भारत की रैंकिंग में एक स्थान का सुधार

रीयल्टी सलाहकार जेएलएल के वैश्विक रीयल एस्टेट पारदर्शिता सूचकांक में भारत की स्थिति एक स्थान सुधर गई है। इस द्विवार्षिक सर्वेक्षण में भारत 35वें स्थान पर आ गया है जबकि पिछली रपट में भारत का स्थान 36 वां था। सर्वेक्षण रपट में इसकी अहम वजह इस क्षेत्र में नीतिगत सुधार और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में सुगमता को बताया गया है।

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नई दिल्ली। रीयल्टी सलाहकार जेएलएल के वैश्विक रीयल एस्टेट पारदर्शिता सूचकांक में भारत की स्थिति एक स्थान सुधर गई है। इस द्विवार्षिक सर्वेक्षण में भारत 35वें स्थान पर आ गया है जबकि पिछली रपट में भारत का स्थान 36 वां था। सर्वेक्षण रपट में इसकी अहम वजह इस क्षेत्र में नीतिगत सुधार और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में सुगमता को बताया गया है। 

जेएलएल के 2016 के सर्वेक्षण में जहां भारत का स्थान 36 वां था वहीं उससे पहले 2014 में यह स्थान 40 वां रहा था। देश के रीयल्टी बाजार को अभी ‘ अर्द्ध - पारदर्शी श्रेणी ’ में रखा गया है। जेएलएल इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और देश में प्रमुख रमेश नायर ने कहा कि 2020 में होने वाले सर्वेक्षण में यह रैंकिंग और बेहतर होने की संभावना है। इसके पीछे अहम वजह बेनामी लेनदेन अधिनियम , माल एवं सेवाकर (GST) और रीयल एस्टेट (विनियम एवं विकास) अधिनियम-रेरा जैसी कई सरकारी पहलें हैं। 

सर्वेक्षण में ब्रिटेन शीर्ष पर रहा है। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया , अमेरिका , फ्रांस , कनाडा , नीदरलैंड , न्यूजीलैंड , जर्मनी , आयरलैंड और स्वीडन 10 शीर्ष देशों में शामिल है। भारत के पड़ोसी मुल्क श्रीलंका का इस सूची में 66 वां और पाकिस्तान का 75 वां स्थान है। वेनेजुएला इस सूची में 100 वें स्थान पर रहा है। 

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