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दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में 7.5% की गिरावट, अनुमानों से बेहतर रहे आंकड़े

घरेलू अर्थव्यवस्था में रिकवरी उम्मीद से तेज हो रही है। दूसरी तिमाही में घरेलू अर्थव्यवस्था में 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है, हालांकि शुरुआत अनुमानों में अर्थव्यवस्था में इससे तेज गिरावट का अनुमान दिया गया था।

<p>दूसरी तिमाही में 7.5...- India TV Paisa Image Source : PTI दूसरी तिमाही में 7.5 फीसदी की गिरावट

नई दिल्ली। घरेलू अर्थव्यवस्था आधिकारिक रूप से मंदी में प्रवेश कर गई है, हालांकि अर्थव्यवस्था में रिकवरी भी उम्मीद से तेज हो रही है। दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी में 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है, हालांकि अलग अलग संगठनों के अनुमानों में तिमाही के दौरान अर्थव्यवस्था में इससे तेज गिरावट का अनुमान दिया गया था।  पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 23.9 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी। लगातार दो तिमाही में निगेटिव ग्रोथ पर अर्थव्यवस्था को आधिकारिक रूप से मंदी में मान लिया जाता है।

हालांकि दूसरी तिमाही के आंकड़े अनुमानों से बेहतर होने पर रिकवरी की उम्मीदें बढ़ गई हैं। रिजर्व बैंक ने दूसरी तिमाही में 8.6 फीसदी की गिरावट का अनुमान दिया था। वहीं इनवेस्टमेंट बैंक बार्कलेज ने दूसरी तिमाही में 8.5 फीसदी की गिरावट का अनुमान दिया था। कई अन्य संस्थाओं ने भी दूसरी तिमाही में 8 फीसदी से ज्यादा की गिरावट का अनुमान दिया था।  अर्थव्यवस्था की गिरावट पर लगाम मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के बेहतर प्रदर्शन की वजह से देखने को मिला है। दूसरी तिमाही मे सेक्टर में हल्की बढ़त दर्ज हुई है।

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एनएसओ को द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक दूसरी तिमाही के दौरान नियत मूल्य (Constant Price) पर दूसरी तिमाही में जीडीपी 33.14 लाख करोड़ रुपये रही है जो कि पिछले साल की इसी तिमाही में 35.84 लाख करोड़ रुपये थी। यानि इसमें 7.5 फीसदी गिरावट दर्ज हुई है। हालांकि पहली तिमाही के मुकाबले दूसरी तिमाही में 4.4 फीसदी की बढ़त रही है। इस दौरान जीवीए में 7 फीसदी की गिरावट देखने को मिली।

वहीं वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी 60.04 लाख करोड़ रही जो कि पिछले साल की इसी अवधि में 71.2 लाख करोड़ रुपये थी। यानि छमाही आधार पर इसमें 15.6 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। आंकड़ों के मुताबिक दूसरी तिमाही के दौरान कोयला उत्पादन, निजी वाहन की बिक्री और रेलवे द्वारा मालढुलाई में उछाल देखने को मिला है। वहीं एक्सपोर्ट भी बेहतर हुआ है। पिछले साल के मुकाबले कमर्शियल वाहनों की बिक्री में भी सुधार देखने को मिला है।   

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