नई दिल्ली। भारत, जो दुनिया का सबसे बड़ा दाल उपभोक्ता और आयातक है, दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की राह पर आगे बढ़ रहा है और वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए दालों के उत्पादन को और बढ़ाया जाएगा। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की मदद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि और दालों की खरीद जैसे कई कदम उठाए हैं। फसल वर्ष 2018-19 (जुलाई-जून) के दौरान कुल 2.340 करोड़ टन दालों की खरीद की गई, जो वार्षिक घरेलू मांग 2.6-2.7 करोड़ टन से कम है। इस कमी को आयात के जरिये पूरा किया गया। हालांकि, चालू वर्ष के लिए सरकार ने 2.630 करोड़ टन दालों के उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
विश्व दाल दिवस के मौके पर आयोजित एक समारोह में बोलते हुए तोमर ने कहा कि दालें केवल भारत में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी आवश्यक वस्तु बन गई हैं। पहले हमें दालों की कमी से जूझना पड़ता था लेकिन अब स्थितियां पहले से बेहतर हो गई हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार की अनुसंधान संस्था इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आईसीएआर) में अनुसंधान एवं विकास और सरकार की उचित नीतियों ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान दाल उत्पादन को बढ़ाने में काफी मदद की है।
तोमर ने कहा कि दालों के उत्पादन में भारत आत्मनिर्भर बनने के पथ पर अग्रसर है, अब अधिकांश घरेलू जरूरत को भारत स्वयं के उत्पादन से पूरा कर रहा है। हम दालों के उत्पादन को और बढ़ाएंगे और वैश्विक मांग को पूरा करने में मदद करेंगे।
मंत्री ने ऑर्गेनिक दालों को भी इस अवसर पर लॉच किया। नाफेड के अतिरिक्त प्रबंध निदेशक एस.के. सिंह ने कहा कि भारत अपने अतिरिक्त उत्पादन के जरिये श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों की दालों की जरूरत को पूरा कर सकता है।
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