नई दिल्ली। रबड़ की कमी का सामना करते हुए भारत अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए थाइलैंड से तीन लाख टन प्राकृतिक रबड़ का आयात करने के बार में सोच रहा है। भारत की प्राकृतिक रबड़ की वार्षिक मांग 10 लाख टन से भी अधिक की है जबकि इसका घरेलू उत्पादन करीब पांच लाख टन पर ठहराव झेल रहा है।
अखिल भारतीय रबड़ उद्योग के अध्यक्ष मोहिन्द्र गुप्ता ने कहा, थाइलैंड का रबड़ प्राधिकार भारत को करीब तीन लाख टन प्राकृतिक रबड़ की पेशकश कर रहा है। घरेलू टायर, रबड़ उद्योग और थाइलैंड के अधिकारियों के बीच वार्ता प्रारंभ हो गई है। थाइलैंड के रबड़ प्राधिकार के गर्वनर टाइटस सुकसार्ड को मिलाकर उस देश का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल वार्ता के लिए भारत के दौरे पर है।
सुकसार्ड ने कहा, फिलहाल हम भारतीय उद्योग जगत की कंपनियों से करीब तीन लाख टन प्राकृतिक रबड़ का निर्यात करने के लिए वार्ता की प्रक्रिया में हैं। उन्होंने कहा कि थाइलैंड भारत को अपने प्राकृतिक रबड़ का आयात कम से कम दोगुना कर चार लाख टन करना चाहता है। सुकसार्ड ने भारतीय रबड़ और टायर उद्योग को थाइलैंड में स्थापित किए जा रहे प्रस्तावित रबड़ सिटी में रबड़ और टायर उद्योग की स्थापना करने के लिए आमंत्रित किया है।
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अखिल भारतीय टायर विनिर्माता संघ के महानिदेशक राजीव बुद्धिराजा ने कहा, प्राकृतिक रबड़ के घरेलू उत्पादन और मांग में बढ़ते अंतर को देखते हुए थाइलैंड के प्रतिनिधिमंडल की या़त्रा का खासा महत्व है और यह दोनों देशों के लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आएगा। वर्ष 2015-16 में रबड़ का घरेलू उत्पादन 13 प्रतिशत घटकर 5.63 लाख टन रह गया, जबकि समीक्षाधीन अवधि में आयात तीन प्रतिशत बढ़कर 4.54 लाख टन हो गया। पिछले वर्ष अप्रैल में सरकार ने प्राकृतिक रबड़ पर आयात शुल्क को 25 प्रतिशत अथवा 30 रपये प्रति किग्रा, जो भी कम हो, कर दिया था ताकि प्राकृतिक रबड़ के आयात को रोका जा सके और घरेलू उत्पादकों को सुरक्षा प्रदान की जा सके।
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