Modi in Moscow: रूस से मिल सकता है क्रूड ऑयल, डिफेंस और न्यूक्लियर एनर्जी, विकास को मिलेगी गति
नरेंद्र मोदी पहली बार रूस पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली रूस यात्रा राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक स्तर पर काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन की द्विपक्षीय वार्ता के सिलसिले में पहली बार रूस पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली रूस यात्रा राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक स्तर पर काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यह भारत और रूस के बीच सैन्य रिश्तों, क्रूड ऑयल और न्यूक्लियर एनर्जी के लिए समझौता करने का खास मौका हो सकता है। दोनों देशों के सैन्य और सामरिक रिश्ते इसलिए अहम हैं क्योंकि भारत की तीनों फौज की इनवेंटरी का सात फीसदी रूस से आता है। भारत के पास मौजूद टैंक, लड़ाकू विमान, पनडुब्बियां और आधुनिक जितने भी विध्वंसक हथियार हैं, वो सब भारत ने रूस से लिए हैं। रूस के लिए भी भारत इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि भारत एक बड़ा हथियार आयातक देश है। मोदी 16वें भारत-रूस सालाना शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने रूस पहुंचे हैं। पीएम बनने के बाद मोदी का यह पहला दौरा है। इस दौरान मोदी रशियन इंडस्ट्रियलिस्ट्स से मुलाकात करेंगे। इसके अलावा मोदी भारतीय कम्युनिटी के लोगों से भी मिलेंगे।
मोदी का गुरुवार का शेड्यूल
मोदी गुरुवार को 1.30 बजे एक स्मारक का दौरा करेंगे। इसके बाद 5.30 बजे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत होगी। 7.45 बजे मोदी रसियन कंपनियों के सीईओ से मुलाकात करेंगे। 8.45 बजे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। 9 बजे पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन साझा प्रेस स्टेटमेंट देंगे। इसके बाद मोदी फ्रेंड्स ऑफ इंडिया के प्रोग्राम में शामिल होंगे।
भारत-रूस द्विपक्षीय व्यापार
2012 के बाद से भारत-रूस के बीच 10 अरब डॉलर (66,250 करोड़ रुपए) का द्विपक्षीय व्यापार हो रहा है, जबकि लक्ष्य 15 अरब डॉलर (99,378 करोड़ रुपए) का था। दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने की अपनी-अपनी कोशिश में जुटे हुए हैं। अगले 10 साल में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाकर 30 अरब डॉलर करने का लक्ष्य है। दूसरी ओर रूस, भारत को डिफेंस और कुछ हद तक अपनी एनर्जी इंडस्ट्री के लिए कैप्टिव मार्केट के रूप में देख रहा है।
डिफेंस पर समझौते की उम्मीद
भले ही भारत, रूस से हथियारों के मामले में पारंपरिक खरीदार है, लेकिन पिछले कुछ समय में देखा गया है कि भारत, अमेरिका और अन्य देशों के ज्यादा करीब है। इसकी मुख्य वजह स्पेयर पार्ट्स मिलने की समस्या, लागत में वृद्धि और अन्य कारण हैं, जिससे भारत की मॉस्को से दूरी बढ़ गई है। भारत की हथियार खरीदने की क्षमता की वजह से दोनों देशों पर अच्छे संबंध का दबाव है। भारत इस दौरे पर रूस के साथ 9 अरब डॉलर (59629 करोड़ रुपए) के सौदे के लिए पहले से तैयार है। इसमें एस-400 “ट्रिम्फ” वायु रक्षा प्रणाली और संयुक्त रूप से 140 से अधिक कामोव केए-226 हल्के हेलीकाप्टरों का निर्माण शामिल है। इसके अलावा नए परमाणु पनडुब्बियों को लेकर भी समझौता हो सकता है।
दोनों देश के बीच एनर्जी पार्टनरशिप
जुलाई 2015 में रूस की बड़ी तेल कंपनी रोजनेफ्ट ने एस्सार ऑयल में 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है। करीब 10,500 करोड़ रुपए के इस सौदे के बाद रोजनेफ्ट को देश की दूसरी सबसे बड़ी ऑयल रिफाइनरी (वाडिनार, गुजरात) में एंट्री मिल गई है। वहीं, एग्रीमेंट के तहत रूस इस साल 50 लाख टन क्रूड ऑयल भारत को सप्लाई करेगा और 2016 तक इसे बढ़ाकर 100 लाख टन करने का लक्ष्य है। मॉस्को के लिए यह डील काफी अहम है। इसके अलावा मोदी के रूस दौरे के समय चीन के रास्ते भारत और रूस के बीच प्रस्तावित गैस पाइप लाइन पर भी चर्चा होगी। साथ ही हाइड्रोकार्बन पर भी समझौते की संभावना है।