चालू वित्त वर्ष में 7.5% रह सकती है भारत की आर्थिक वृद्धि दर : अरविंद पनगढ़िया
नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
न्यूयॉर्क। नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हालांकि, उन्होंने यह माना कि अच्छी नौकरियों का सृजन अब भी बड़ी चुनौती बनी हुई है। पनगढ़िया ने कहा कि मेरा अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष 2017-18 में आर्थिक वृद्धि दर कम-से-कम 7.5 प्रतिशत रहेगी। साल की अंतिम तिमाही की ओर बढ़ने के साथ हम आठ प्रतिशत वृद्धि दर हासिल करने लगेंगे। लेकिन औसत वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहेगी।
पिछले सप्ताह सतत विकास पर संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय राजनीतिक मंच पर सतत विकास लक्ष्य के क्रियान्वयन पर स्वैच्छिक राष्ट्रीय समीक्षा रिपोर्ट पेश करने वाले पनगढ़िया ने हालांकि कहा कि देश में खासकर निचले, अर्द्ध-कुशल स्तर पर रोजगार सृजन वास्तव में बड़ी चुनौती हैं। संभवत: यह आठ प्रतिशत वृद्धि के मुकाबले बड़ी चुनौती है।
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उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत का बेहतर प्रदर्शन करने वाला वाहन, वाहनों के कल-पुर्जे, इंजीनियरिंग वस्तुएं, पेट्रोलियम रिफाइनरी, औषधि तथा आईटी संबंधित सेवाएं बहुत अधिक रोजगार गहन नहीं हैं। पनगढ़िया ने कहा कि ये सभी क्षेत्र या तो पूंजी गहन हैं या कुशल श्रम गहन हैं। निचले, अर्द्ध-कुशल स्तर पर अच्छी नौकरियों की काफी जरूरत है। यह हमारे लिये बड़ी चुनौती है।
उन्होंने यह भी कहा कि वह मीडिया के एक तबके में आ रही रिपोर्टों से सहमत नहीं है कि भारत की आर्थिक वृद्धि रोजगार विहीन वृद्धि है। पनगढ़िया ने कहा, व्यक्तिगत रूप से मैं इसमें भरोसा नहीं करता। हालांकि उन्होंने कहा कि पर्याप्त संख्या में अच्छी नौकरियां सृजित नहीं हो रही है जहां अच्छा वेतन मिल सके।
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नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा, रोजगार सृजित हो रहे हैं। लेकिन निश्चित रूप से अच्छे वेतन वाली बेहतर नौकरियां सृजन नहीं हो रही। मुझे लगता है कि इस मामले में हम बहुत सफल नहीं है और यह बड़ी चुनौती हैं। वास्तव में कपड़ा, जूता-चप्पल और खाद्य प्रसंस्करण जैसे श्रम गहन क्षेत्रों में विनिर्माण के ढांचे को कुछ और व्यवस्थित करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि चीन इन सभी उत्पादों का बड़ा निर्यातक है और वह इस समय अधिक वेतन से जूझ रहा है। इन श्रम गहन क्षेत्रों में उसकी स्थिति थोड़ी कमजोर हुई है और यह इन क्षेत्रों में मजबूत पैठ बनाने के लिये भारत के पास अच्छा समय है।