जिनीवा। भारत के खिलाफ फैसला देते हुए डब्ल्यूटीओ ने कहा कि सोलर फर्मों के साथ सरकार के बिजली खरीद समझौते अंतरराष्ट्रीय नियमों से असंगत रहे। इस मामले में अमेरिका ने डब्ल्यूटीओ में एक शिकायत दर्ज कर भारत पर अमेरिकी फर्मों के खिलाफ भेदभाव का आरोप लगाया था। वहीं भारत ने कहा कि वह विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की समिति के फैसले के खिलाफ अपील कर सकता है।
डब्ल्यूटीओ के फैसले को चुनौती देगा सकता
डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटान समिति के फैसले को डब्ल्यूटीओ के अपीलीय निकाय में चुनौती दी जा सकती है। एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि अपीलीय निकाय के समक्ष अपील करने का फैसला न्यू एंड रिन्युएबल एनर्जी मंत्रालय से विचार विमर्श के बाद किया जाएगा। भारत के पास इस फैसले को चुनौती देने के लिए तीन महीने का समय है। अपीलीय निकाय में सात सदस्य होते हैं जो डब्ल्यूटीओ सदस्यों के विवाद में समिति द्वारा रिपोर्ट के खिलाफ अपील की सुनवाई करते हैं।
अमेरिकी कंपनी ने लगाया था भेदभाव का आरोप
अमेरिका ने 2014 में इस मुद्दे पर भारत को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में घसीटते हुए आरोप लगाया था कि देश के सोलर बिजली मिशन में घरेलू पार्ट्स की आवश्यकता (डीसीआर) से जुड़े उपबंध की प्रकृति भेदभावपूर्ण है। इस मामले को देखने के बाद डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटान समिति ने फैसला दिया कि डीसीआर के उपाय ट्रिम (व्यापार से जुड़े निवेश उपाय) समझौते के संबद्ध प्रावधानों से असंगत हैं। इस बीच, वाशिंगटन से मिली खबरों के अनुसार अमेरिका ने कहा है कि डब्ल्यूटीओ समिति का सौर मामले में भारत के खिलाफ फैसला एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि माइकल फ्रोमैन ने कहा कि आज डब्ल्यूटीओ समिति ने अमेरिका की इस बात पर सहमति जताई कि भारतीय के स्थानीयकरण उपाय अमेरिकी विनिर्माताओं के खिलाफ हैं और डब्ल्यूटीओ नियमों के अनुरूप नहीं हैं।
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