नई दिल्ली। भारतीय उद्योग जगत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के संकल्प का स्वागत किया और इसे ‘‘व्यावहारिक दीर्घकालिक लक्ष्य’’ करार दिया है। उद्योग जगत ने कहा कि देश इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में अच्छी तरह आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को साहसिक घोषणा करते हुए कहा था कि भारत 2070 में कुल शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करेगा। इसके साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत एकमात्र देश है, जो पेरिस समझौते के तहत जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए ‘उसकी भावना’ के अनुरूप ‘अक्षरश:’ काम कर रहा है। ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र सीओपी-26 के राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्ष सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए मोदी ने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है और इसके नतीजे दिखाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘भारत 500 गीगावॉट गैर जीवाश्म ईंधन क्षमता 2030 तक हासिल करेगा। भारत 2030 तक अपनी ऊर्जा जरूरतों का 50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त करेगा। भारत अब से 2030 के बीच अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कटौती करेगा। भारत कार्बन की गहनता में 45 प्रतिशत तक कटौती करेगा और 2070 तक शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करेगा।’’ भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष टी वी नरेंद्रन ने कहा, ‘‘सीआईआई जलवायु कार्रवाई पर एक विश्वसनीय प्रतिबद्धता के लिए आक्रामक अल्पकालिक लक्ष्यों और शुद्ध शून्य उत्सर्जन के एक व्यावहारिक दीर्घकालिक लक्ष्य के साथ सीओपी26 में प्रधानमंत्री की घोषणाओं का स्वागत करता है।’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने और 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन के समग्र लक्ष्य के साथ भारत के कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए पांच प्रतिज्ञाओं के साथ जलवायु एजेंडे को एक नया स्तर मिलेगा। उन्होंने कहा कि भारत इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पूरी तरह सही दिशा में है और भारतीय उद्योग जगत इसमें पूरी तरह साथ दे रहा है।
जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में काम करने वाली बीएसई में सूचीबद्ध फर्म ईकेआई एनर्जी सर्विसेज के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) मनीष डबकारा ने कहा, ‘‘आज, जलवायु परिवर्तन सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है और इस संदर्भ में प्रधानमंत्री द्वारा 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य पाने की घोषणा से पर्यावरणीय मुद्दों से संबंधित कार्यान्वयन और नीतिगत ढांचे में तात्कालिकता आएगी।’’
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