नई दिल्ली। भारत के पास रुपए के उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार और संसाधन हैं। आर्थिक मामलों के सचिव एस सी गर्ग ने आज यह बात कही। गर्ग ने कहा कि मौजूदा स्थिति 2013 से बेहतर है। रुपए में उतार-चढ़ाव की प्रमुख वजह मांग-आपूर्ति का मेल नहीं होना है।
उन्होंने कहा कि यदि आप कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं, तो मांग-आपूर्ति का अंतर पैदा होगा। यह कुछ लोगों के व्यवहार को भी प्रभावित करेगा। यदि आप उम्मीद करते हैं कि रुपए में गिरावट आएगी, तो विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक कुछ अलग तरीके से बर्ताव करेंगे, यह सब जुड़ा है। हम इस बात को लेकर भी निश्चिंत नहीं हैं कि यह किस तरीके का तूफान है। यह तूफान है भी या नहीं। क्या यह तूफान बनेगा।
मुद्रास्फीति और कमजोर वैश्विक रुख से गुरुवार को रुपया 68.79 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ था। आज दोपहर के कारोबार में रुपया कुछ सुधार के साथ 68.36 प्रति डॉलर पर चल रहा था। गर्ग ने कहा कि हमारे पास पर्याप्त भंडार है। पर्याप्त संसाधन हैं। एफसीएनआर-बी को बढ़ाने का विकल्प कायम है। यदि हम किसी चरण पर आकलन करें कि पूंजी प्रवाह चालू खाते और रेमिटेंस घाटे से कम रहेगा। यदि व्यापार घाटा 20 से 25 अरब डॉलर बढ़ता है और रेमिटेंस अधिक नहीं बढ़ता है, तो यह संतुलन गड़बड़ा जाएगा।
उन्होंने कहा कि यदि निर्यात सेवाएं भी उतना ही बढ़ती हैं, तो इस 20-25 अरब डॉलर के अंतर से निपटा जा सकता है। वर्ष 2013 में रुपए के 68.85 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने के बाद रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर रघुराम राजन ने विदेशी मुद्रा गैर प्रवासी बैंक (एफसीएनआर-बी) जमा की शुरुआत की थी। इसके बाद देश में तीन साल में 32 अरब डॉलर आए थे।
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