देश की GDP में 2020-21 में 9.5 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान: ICRA
कुछ राज्यों और शहरों में एक बार फिर प्रतिबंध लगने से रिकवरी पर असर पड़ा
नई दिल्ली। घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा ने चालू वित्त वर्ष में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट के अनुमान को संशोधित कर और बढ़ा दिया है। इसके अनुसार 2020-21 में जीडीपी में 9.5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है जबकि इससे पहले 5 प्रतिशत गिरावट का अनुमान जताया गया था। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि कुछ राज्यों में ‘लॉकडाउन’ जारी रहने से मई और जून में शुरू हुई कारोबारी गतिविधियां पर असर पड़ा है। ज्यादातर विश्लेषकों का अनुमान है कि देश के जीडीपी में 5 से 6.5 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है।
इक्रा ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘हमने भारत के जीडीपी में (स्थिर मूल्य 2011-12 पर) गिरावट के अनुमान को संशोधित किया है। इसके तहत इसमें 9.5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है जबकि पूर्व में हमने 5 प्रतिशत गिरावट का अनुमान जताया था। कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए कुछ राज्यों और शहरों में ‘लॉकडाउन’ से मई-जून, 2020 में जो एक शुरूआती रिकवरी दिखी थी, उस पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।’’ रिपोर्ट के अनुसार देश की अर्थव्यवस्था में 2020-21 की पहली तिमाही में 25 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आ सकती है। उसके बाद कुछ हल्का सुधार देखने को मिल सकता है। दूसरी और तीसरी तिमाही में इसमें क्रमश: 12.4 प्रतिशत और 2.3 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। चौथी तिमाही में 1.3 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है।
इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अप्रैल 2020 में कड़ाई से लगाये गये ‘लॉकडाउन’ के कड़े अनुभव से बाहर निकलने लगी थी। कई क्षेत्रों में यह देखा जा रहा था कि वे नई व्यवस्था के साथ स्वयं को समायोजित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए कई राज्यों में स्थानीय स्तर पर ‘लॉकडाउन’ फिर से लगाया गया है। इससे पुनरूद्धार पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। नायर ने कहा, ‘‘महामारी की गंभीरता और इससे बचाव के लिये सुरक्षा उपायों की अवधि को देखते हुए हमारा अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में पूर्व के अनुमान के मुकाबले बड़ी गिरावट आएगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि कई क्षेत्रों में ‘लॉकडाउन’ और कई क्षेत्रों में स्थिति में ढील तथा श्रम की मांग एवं आपूर्ति में अंतर, आपूर्ति व्यवस्था तथा खपत प्रतिरूप को प्रभावित कर रहा है।’’