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कहीं महंगाई फिर न बन जाए परेशानी, सरकारी अधिकारी ने खरीफ उत्पादन 2.5% कम रहने का अनुमान लगाया

देश में महंगाई के फिर से बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है क्योंकि खाद्यान्न उत्पादन चालू खरीफ सत्र में 35 लाख टन घटकर 13.5 करोड़ टन रहने का अनुमान है।

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नई दिल्ली। देश में महंगाई के फिर से बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है क्योंकि खाद्यान्न उत्पादन चालू खरीफ सत्र में 35 लाख टन घटकर 13.5 करोड़ टन रहने का अनुमान है। आधिकारिक सूत्रों ने आज कहा कि देश के कुछ हिस्सों में बाढ़ तथा कुछ अन्य इलाकों में बारिश कम रहने की वजह से खाद्यान्न उत्पादन में कमी आने का अंदेशा है। मानसून बेहतर रहने से फसल वर्ष 2016-17 के खरीफ सत्र में देश का खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 13 करोड़ 85 लाख टन हुआ था।

सूत्रों के अनुसार कुल खरीफ खाद्यान्न उत्पादन :चावल, दलहन और मोटे अनाज को मिलाकर चालू सत्र में करीब 13.5 करोड़ टन रहने की संभावना है। खरीफ फसलों की बुवाई का काम जुलाई के करीब शुरु होता है और कटाई अक्तूबर से शुरु होती है। उन्होंने कहा कि इस गिरावट का मुख्य कारण कमजोर बरसात तथा दलहनों की नरम कीमतों के मद्देनजर धान और दलहन फसलों की खेती के रकबे में कमी आना है।

सूत्रों ने बताया कि चावल का उत्पादन पिछले खरीफ सत्र के नौ करोड़ 63 लाख टन के मुकाबले घटकर करीब 9.5 करोड़ टन रह जाने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि यही मामूली गिरावट दलहनों में रहने की आशंका है। हालांकि मोटे अनाजों का उत्पादन चालू खरीफ सत्र के दौरान सामान्य रहेगा। खरीफ फसलों के उत्पादन का यह आरंभिक आकलन है और उत्पादन के आंकड़ों को बाद में बढ़ाया जा सकता है क्योंकि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में किसान देर से बुवाई कर सकते हैं। इसके अलावा कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों में वर्षा शुरू हुई है जहां जून जुलाई के दौरान सूखे की स्थिति थी।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार आठ सितंबर तक धान बुवाई का रकबा कम यानी 371.46 लाख हेक्टेयर रह गया जो वर्ष भर पहले की समान अवधि में 376.89 लाख हेक्टेयर था। इसी प्रकार दलहन बुवाई का रकबा भी पहले के 144.84 लाख हेक्टेयर से घटकर 139.17 लाख हेक्टेयर रह गया जबकि मोटे अनाज की बुवाई का रकबा भी पहले के 186.06 लाख हेक्टेयर से घटकर 183.43 लाख हेक्टेयर रह गया।

उदाहरण के लिए प्रदेश सरकार के अधिकारी ने कहा कि कर्नाटक में खाद्यान्न उत्पादन करीब 25 प्रतिशत घटकर इस वर्ष 75 लाख टन रह सकता है। कर्नाटक प्रदेश प्रगति आपदा निगरानी केन्द्र के निदेशक जी एस श्रीनिवास रेड्डी ने पीटीआई.भाषा को बताया, जून और जुलाई के महत्वपूर्ण महीने में बरसात की कमी के कारण बुवाई नहीं की जा सकी। इसलिए खरीफ फसलों के तहत अधिक रकबे को अपने दायरे में नहीं लाया जा सका। हमें खरीफ उत्पादन में 25 प्रतिशत गिरावट का अनुमान है। असम, बिहार, गुजरात और राजस्थान में बाढ़ देखने को मिली जबकि कर्नाटक, छाीसगढ़ और तमिलनाडु के कुछ हिस्सो में सूखा पड़ा। इस साल के आरंभ में कृषि सचिव एस के पटनायक ने कहा था कि खरीफ फसलों के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले दक्षिण पश्चिम मानसून कुछ हिस्सों को छोड़कर लगभग सामान्य रहा है। उन्होंने कहा कि कम बरसात का साक्षात्कार करने वाले महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और प्रायद्वीपीय भारत में स्थिति पिछले दो सप्ताह में सुधरी है।

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