नई दिल्ली। सरकार ने चीन से आयात किए जाने वाले ‘फ्लोट ग्लास’ पर डंपिंगरोधी शुल्क तीन महीने और बढ़ा दिया है। अब यह शुल्क सात दिसंबर तक जारी रहेगा। फ्लोट ग्लास का इस्तेमाल निर्माण क्षेत्र में होता है। सरकार ने घरेलू कंपनियों को चीन से होने वाले इसके सस्ते आयात से बचाने के लिए डंपिंगरोधी शुल्क की अवधि बढ़ाने का निर्णय किया है। राजस्व विभाग की अधिसूचना के मुताबिक, फ्लोट ग्लास पर लगाया गया डंपिंगरोधी शुल्क सात दिसंबर 2020 तक लागू रहेगा। फ्लोट ग्लास पर पहली बार डंपिंगरोधी शुल्क आठ सितंबर 2015 को पांच साल के लिए लगाया गया था। यह प्रति टन 218 डॉलर की दर से लगाई जा रही है। वाणिज्य मंत्रालय के तहत काम करने वाला डीजीटीआर जांच कर डंपिंगरोधी शुल्क लगाने की सिफारिश करता है। वाणिज्य मंत्रालय मामले में अंतिम निर्णय लेने के लिए उसे वित्त मंत्रालय के पास भेजता है। विभाग द्वारा 2 सितंबर को जारी एक अलग अधिसूचना में चीन से साइप्रोफ्लोक्सासिन हाइड्रोक्लोराइड दवा के आयात पर छह माह के लिये अस्थाई डंपिंगरोधी शुल्क लगाया गया है। यह दवा कई तरह के विषाणु जनित संक्रमण के इलाज में उपयोग होती है। दवा पर 94 सेंट से 3.29 डॉलर प्रति किलोग्राम के दायरे में डंपिंगरोधी शुल्क लगाया गया है।
डंपिंग रोधी शुल्क विदेशों से आने वाले ऐसे बेहद सस्ते उत्पाद पर नियंत्रण के लिए लगाया जाता है, जिनकी ओवर सप्लाई से घरेलू इंडस्ट्री को तगड़ा नुकसान उठाना पड़ता है। सरकार इससे निपटने के लिए इस पर अतिरिक्त ड्यूटी लगाती है जिससे ये उत्पाद घरेलू बाजारों में महंगा पड़ता है। अक्सर विदेशी कारोबारी उत्पादों की डंपिंग एक रणनीति की तहत करते हैं। पहले सस्ते सामान की सप्लाई से घरेलू इंडस्ट्री को नुकसान पहुंचता है, और उनके बाजार से बाहर होते ही विदेशी सप्लायर कीमतें बढ़ाकर मुनाफा वसूली करते हैं। हालांकि एंटी डंपिंग ड्यूटी से ये संभावनाएं खत्म हो जाती है।
Latest Business News