नई दिल्ली। सरकार ने सितंबर को समाप्त विपणन वर्ष 2018-19 में चीनी के अधिशेष स्टॉक का निपटारा करने के लिए लगभग 37 लाख टन चीनी का निर्यात किया। शुक्रवार को राज्यसभा को यह जानकारी दी गई। केंद्रीय मंत्री दानवे रावसाहेब दादाराव ने कहा कि चीनी मिलों को उनके एमआईक्यूएम (न्यूनतम सांकेतिक निर्यात कोटा) आवंटन के अनुसार चीनी निर्यात करने की सलाह दी गई थी।
खाद्य और उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री दादाराव ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि देश से अधिशेष चीनी का निपटान करने के लिए, चीनी सत्र 2018-19 (अक्टूबर 2018 से सितंबर 2019) में निर्यात के लिए मिलवार 50 लाख टन चीनी का एमआईक्यूएम कोटा तय किया गया था।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2018-19 के लिए आवंटित मात्रा के मुकाबले लगभग 37 लाख टन निर्यात किया गया है। मंत्री ने कहा कि चीनी निर्यात करने के लिए मिलों पर कोई बाध्यता नहीं थी और वे अपने वाणिज्यिक निर्णय के अनुसार चीनी का निर्यात करने के लिए स्वतंत्र थे। दादाराव ने कहा कि चीनी के पिछले साल के बचे भारी मात्रा वाले स्टॉक तथा चालू चीनी सत्र में चीनी के अधिशेष उत्पादन के अनुमानों के मद्देनजर, सरकार ने वर्ष 2019-20 में निर्यात के मकसद से चीनी मिलों के लिए 60 लाख टन के अधिकतम निर्यात योग्य मात्रा (एमएईक्यू) का आवंटन किया था।
हाल ही में चीनी उद्योग के प्रमुख संगठन इस्मा ने कहा कि महाराष्ट्र में गन्ने की पेराई देर से शुरू हुई तथा प्रदेश में उत्पादन में भारी गिरावट के कारण अक्टूबर से नवंबर के दौरान चीनी उत्पादन 54 प्रतिशत घटकर 18.85 लाख टन रह गया। पिछले महीने, इस्मा ने कहा था कि विपणन वर्ष 2019-20 में चीनी का उत्पादन 21.5 प्रतिशत घटकर 2.6 करोड़ टन रहने का अनुमान है। उसने एक अक्टूबर की स्थिति के अनुसार चीनी का आरंभिक स्टॉक एक करोड़ 45.8 लाख टन होने की सूचना दी थी।
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