नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक बड़ा पावरहाउस बनना इंडिया के भाग्य में लिखा है। जाने-माने अर्थशास्त्री सिंह ने कहा कि 1991 के बाद से भारत की वार्षिक आर्थिक वृद्धि दर औसतन सात प्रतिशत बनी हुई है। उन्होंने कहा कि सभी बाधाओं और व्यवधानों के बावजूद भारत सही दिशा में बढ़ता रहेगा। भारत के भाग्य में है कि वह वैश्विक अर्थव्यवस्था का पावरहाउस बने।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रह चुके सिंह ने केंद्रीय बैंक और केंद्र सरकार के संबंधों के बारे में कहा कि रिजर्व बैंक और सरकार का संबंध पति-पत्नी के संबंध की तरह है। दोनों के बीच मतभेदों को निपटाना जरूरी होता है ताकि दोनों सामंजस्य के साथ काम कर सकें।
उन्होंने कहा क विचारों में मतभेद का समाधान इस रूप से होना चाहिए जिससे दोनों संस्थान तालमेल के साथ काम कर सकें। उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है कि जब रिजर्व बैंक के आरक्षित धन के स्तर तथा लघु एवं मझोले उद्यमों के लिए कर्ज के नियम आसान बनाने समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर केंद्रीय बैंक तथा वित्त मंत्रालय के बीच मतभेदों की चर्चा के बीच उर्जित पटेल ने आरबीआई के गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया।
चेंजिंग इंडिया शीर्षक के साथ प्रकाशित छह खंड की अपनी पुस्तक के विमोचन समारोह में संवाददाताओं से अलग से बातचीत में सिंह ने कहा कि रिजर्व बैंक की स्वायत्तता तथा स्वतंत्रता का सम्मान होना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें एक मजबूत और स्वतंत्र आरबीआई की जरूरत है जो केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करे। उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद और प्रार्थना करता हूं कि सरकार तथा आरबीआई साथ मिलकर काम करने का रास्ता निकाले।
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