नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के मुख्य अर्थशास्त्री मौरिस ऑब्स्टफेल्ड ने आर्थिक ताकतों के जटिल जोड़ के बीच भारत को एक उम्मीद की किरण बताया। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस प्रगति के बावजूद सरकारी बैंकों की बढ़ती गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) एक प्रमुख चुनौती है। मौरिस ने कहा, आर्थिक ताकतों का जटिल जोड़ लगातार सुस्त आर्थिक वृद्धि के परिदृश्य को आकार दे रहा है।
- सिर्फ भारत ही नहीं, चीन ने भी अपनी वृद्धि की रफ्तार को कायम रखा है।
- भारत एक उम्मीद की किरण है। भारत में मुद्रास्फीति, चालू खाते का घाटा (कैड), राजकोषीय घाटा नीचे आ रहा है।
- यहां कुछ बुनियादी चुनौतियां हैं। काफी प्रगति के बावजूद सरकारी बैंकों का बढ़ता एनपीए चुनौती है।
- वित्त वर्ष 2015-16 सरकारी बैंकों का सकल एनपीए कुल ऋण पर 9.32 प्रतिशत बढ़कर 4.76 लाख करोड़ रुपए हो गया।
- जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 5.43 प्रतिशत या 2.67 लाख करोड़ रुपए था।
- आईएमएफ के नवनियुक्त मुख्य अर्थशास्त्री मौरिस ने कहा कि जिंस कीमतों में गिरावट से भारत को लाभ हुआ है।
- अमेरिका में यह धारणा है कि व्यापार नौकरी खत्म कर देता है। दुनिया ने एशिया पर कहीं अधिक व्यापार अंकुश लगाए हैं।
- उन्होंने कहा कि 2016 में आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि निराशाजनक रही। लेकिन उभरती अर्थव्यवस्थाओं का प्रदर्शन अच्छा रहा।
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