भारत, बेल्जियम ने एफटीए वार्ता बहाल करने पर दिया बल
नरेंद्र मोदी और बेल्जियम के प्रधानमंत्री चार्ल्स मिशेल ने संबंधों को मजबूत करने भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) बहाल करने पर जोर दिया।
ब्रसेल्स। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बेल्जियम के प्रधानमंत्री चार्ल्स मिशेल ने द्विपक्षीय संबंध मजबूत करने का संकल्प लिया और दोनों देशों ने प्रस्तावित भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लेकर लंबे समय से बाधित बातचीत बहाल करने पर जोर दिया। दोनों नेताओं ने अपनी मुलाकात के दौरान द्विपक्षीय व्यापार में विविधता लाकर और निवेश संबंधों को विस्तारित करके आर्थिक संबंधों को मजबूती प्रदान करने की प्रतिबद्धता जताई।
दोनों नेताओं की बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने यूरोपीय संघ-भारत रणनीतिक साझेदारी की पूर्ण क्षमता का इस्तेमाल करने पर सहमति जताई और भारत-यूरोपीय व्यापक आधारित व्यापार एवं निवेश समझौते (बीटीआईए) पर बातचीत परस्पर सहमत शर्तों पर बहाल करने की इच्छा जताई। बेल्जियम 28 देशों वाले यूरोपीय संघ का सदस्य है। मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत मई 2013 से रूकी हुई है क्योंकि दोनों पक्षों को अभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर पर्याप्त अंतरों को दूर करना है जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए डेटा सुरक्षा दर्जा शामिल है।
बयान में कहा गया है कि उन्होंने व्यापार एवं निवेश के बढ़ते मौकों का लाभ उठाए जाने पर बल दिया, खासकर बंदरगाह, रेलवे, अक्षय उर्जा, औषधि, जैव प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, अनुसंधान एवं नवोन्मेष जैसे परस्पर समानताओं वाले क्षेत्रों में। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार में हीरा क्षेत्र के महत्व और किंबर्ली प्रक्रिया की रूपरेखा में जारी सहयोग को स्वीकार करते हुए इस परस्पर लाभकारी साझेदारी को और मजबूत करने का संकल्प लिया। बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार में विविधता लाने और निवेश संबंधों को विस्तारित करके आर्थिक सहयोग को और मजबूती प्रदान करने की प्रतिबद्धता जताई। दोनों नेताओं ने कुशल श्रमिकों द्वारा दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं में किये गए योगदान एवं कुशल कर्मियों के बाधारहित आवागमन के महत्व को स्वीकार किया। दोनों नेताओं ने इसके साथ ही व्यापारिक उद्देश्यों के लिए इलेक्ट्रानिक तरीकों से सूचना के वैश्विक स्तर पर सीमापार स्थानांतरण के महत्व को स्वीकार किया तथा नियामक मुद्दों के समाधान का संकल्प लिया।
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