पेरिस। भारत, अमेरिका और चीन सहित दुनिया भर के 20 देशों ने आज क्लीन टेक्नोलॉजी को प्रमोट करने के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई है। इस पहल की शुरुआत के तहत जलवायु परिवर्तन ने निपटने के लिए ये देश अगले पांच वर्षों में क्लीन एनर्जी रिसर्च और डेवलपमेंट बजट को डबल करेंगे। ग्लोबल स्तर पर जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए 20 देश मिलकर 20 अरब डॉलर इकट्ठा करेंगे, जिसमें आधा अकेले अमेरिका देगा। इसकी औपचारिक घोषणा आज दिन में होने वाली बैठक में होगी। इस बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद और अन्य नेताओं के साथ निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकारी भी शामिल होंगे।
इन देशों ने क्लीन-एनर्जी टेक्नोलॉजी के लिए मिलाया हाथ
भारत, अमेरिका और चीन के अलावा फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चिली, डेनमार्क, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मेक्सिको, नॉर्वे, सऊदी अरब, स्वीडन, संयुक्त अरब अमीरात और ब्रिटेन ने भी क्लीन-एनर्जी टेक्नोलॉजी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है। इन 20 देशों की ग्लोबल क्लीन-एनर्जी रिसर्च और डेवलपमेंट में 80 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है। सभी देशों की इस पहल से विंड और सोलर एनर्जी का उत्पादन बढ़ेगा। साथ ही इससे क्लाइमेट चेंज से लड़ने में मदद मिलेगी। इसका सबसे बड़ा फायदा विकासशील देशों को मिलेगा। उन्हें सस्ती बिजली मिल पाएगी।
बिल गेट्स भी हुए क्लीन-एनर्जी टेक्नोलॉजी मिशन में शामिल
माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स ने एक बयान में कहा, आज हमारे पास जो रिन्युएबल टेक्नोलॉजी जैसे विंड और सोलर में प्रोग्रेस हुआ है और भविष्य यह जीरो कार्बन एनर्जी का रास्ता खोल सकता है। लेकिन, चुनौतियों के स्तर को देखते हुए, हमें कई अलग-अलग रास्ते खोजने की जरूरत है।
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