नई दिल्ली। इनकम टैक्स विभाग ने राजकोट के एक सहकारी बैंक में भारी विसंगतियों का पता लगाया है। इस बैंक में 8 नवंबर के बाद 871 करोड़ रुपए जमा किए गए, 4500 नए खाते खोले गए और एक ही मोबाइल नंबर से पांच दर्जन से अधिक खाते शुरू किए गए। यह नोटबंदी के बाद कालाधन बनाने के सबसे बड़े मामलों में एक है।
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ऐसे आया नजर में यह मामला
- अधिकारियों ने बताया कि विभाग की अब तक की जांच के मुताबिक पिछले साल 9 नवंबर और 30 दिसंबर के बीच 871 करोड़ रुपए जमा किए गए। इनमें 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट थे।
- उसी अवधि में 108 करोड़ रुपए संदिग्ध तरीके से निकाले गए। ये सब बातें 2015 की समान अवधि की अनुपातिक नहीं थीं।
- जांच दल ने नोटबंदी के बाद जमा की गई कम से कम 25 बड़ी राशियों की पहचान की, जहां कथित कमजोर KYC नियमों से कथित संदिग्ध और असंतोषजनक तरीके से 30 करोड़ रुपए का विनिमय हुआ।
- IT विश्लेषण रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद कई निष्क्रिय अकाउंट्स में 10 करोड़ रुपए जमा किए गए। उनमें एक पेट्रोलियम फर्म का खाता था। इसमें 2.53 करोड़ रुपए जमा किए गए।
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नोटबंदी के बाद खुले 4,551 नए अकाउंट
- जिस बात ने कर अधिकारियों को चौंका दिया, वह यह था कि नोटबंदी के बाद 4,551 नए अकाउंट खोले गए जबकि पूरे साल में सामान्यत: औसत 5,000 ऐसे अकाउंट खुले। 62 खाते तो एक ही मोबाइल नंबर से खोले गए।
- यह भी पता चला कि जमा करने के लिए भरी गई पर्चियों में भारी विसंगतियां थीं। एक में भी पैन नंबर नहीं दिया गया था।
- कई में तो जमाकर्ता के हस्ताक्षर भी नहीं थे। किसी भी पर्ची में इन रकम के स्रोत को दर्शाने वाले दस्तावेज नहीं थे।
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रिपोर्ट में लगाए आरोप के अनुसार
पाया गया कि बैंक के पूर्व निदेशक के बेटे को 30 बैंक खातों में नकद जमा से एक करोड़ रुपए मिले। सारी जमा पर्चियां एक ही व्यक्ति ने भरीं। बैंक के उपाध्यक्ष की मां को भी 64 लाख रुपए नकद जमा मिले जिसे आखिरकार एक ज्वैलर को ट्रांसफर किया गया।
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