नयी दिल्ली: कर विभाग ने भारत में विदेशी कंपनियों द्वारा हस्तांतरण मूल्य निर्धारण की गणना के लिए 2020-21 की ‘सेफ हार्बर’ दरों को अधिसूचित किया है। आमतौर पर, सेफ हार्बर को उन परिस्थितियों के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें कर प्राधिकार को करदाता द्वारा घोषित हस्तांतरण मूल्य को स्वीकार करना होता है। हस्तांतरण मूल्य से तात्पर्य उन कीमतों से है, जिन पर एक कंपनी की विभिन्न विदेशी इकाइयां आपस में एक दूसरे के साथ लेनदेन करती हैं।
अधिसूचना के मुताबिक सेफ हार्बर नियमों (एसएचआर) के तहत दरें 2016-17 से 2018-19 तक लागू हैं और इसे बाद में 2019-20 तक बढ़ाया गया और ये 2020-21 में भी लागू रहेंगी। नांगिया एंड कंपनी एलएलपी के पार्टनर (हस्तांतरण मूल्य निर्धारण) नितिन नारंग ने कहा कि पिछले साल की तरह, इस साल फिर दरों को तीन या पांच साल की अवधि के बजाय केवल एक साल के लिए अधिसूचित किया गया है। उन्होंने कहा कि एसएचआर करदाताओं और कर अधिकारियों दोनों के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी होना चाहिए।
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