नई दिल्ली। सरकार के सामने देश के भीतर छुपा के रखे गए 65,000 करोड़ रुपए से अधिक के कालेधन का खुलासा हुआ है। घरेलू कालेधन का खुलासा कर पाकसाफ होने के लिए सरकार द्वारा चार महीने पहले आय घोषणा योजना शुरू की गई थी।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को बताया कि इस योजना के तहत 64,275 लोगों ने अपनी बेहिसाबी संपत्ति की जानकारी सरकार को दी है। इन लोगों ने कुल 65,250 करोड़ रुपए की संपत्ति का खुलासा किया है। हालांकि यह आंकड़ा अभी प्रारंभिक है, अंतिम सूची तैयार होने के बाद कालाधन घोषणा के आंकड़े बढ़ सकते हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि आईडीएस 2016 के तहत मिलने वाले टैक्स को भारत की संचित निधि में रखा जाएगा और इसका इस्तेमाल जन कल्याण की योजनाओं में किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि टैक्स चोरी रोकने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। टैक्स चोरी करने वालों से आयकर विभाग को 16 हजार करोड़ रुपए मिले हैं। बेहिसाबी संपत्ति पर सरकार ने 45 फीसदी टैक्स और जुर्माना वसूला है। यह योजना 1 जून को शुरू हुई थी, जो 30 सितंबर 2016 की मध्यरात्रि तक खुली रही।
- सीबीडीटी ने सभी प्रधान आयकर आयुक्तों को 30 सितंबर को मध्यरात्रि तक काउंटर खोलने के निर्देश दिए थे।
- घोषणा के आखिरी दिन कैबिनेट सचिवालय के नॉर्थ ब्लॉक स्थित सीबीडीटी के ऑफिस में देर रात तक काम चलता रहा।
- समय सीमा समाप्त होने के दो घंटे पहले ही कर्मचारी घोषित कालेधन के आंकलन में जुट गए थे।
- सीबीडीटी चीफ रानी सिंह नायर और राजस्व सचिव हसमुख अधिया के निर्देशन में चार महीने में घोषित किए गए कालेधन के मूल्यांकन के लिए दिल्ली और मुंबई के वरिष्ठ इनकम टैक्स अधिकारी आधी रात के बाद तक काम करते रहे।
- 1997 में एचडी देवेगौड़ा के कार्यकाल में वित्तमंत्री पी चिदंबरम द्वारा चलाए गए घरेलु आय घोषणा योजना के तहत 33 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति घोषित की गई थी।
- उस दौरान चार लाख से अधिक लोगों ने अपनी बेहिसाब संपत्ति का ब्योरा दिया था।
- पिछले साल विदेशों में जमा कालेधन के रूप में केवल 4164 करोड़ रुपए की घोषणा हुई थी, जिससे टैक्स के रूप में केवल 2428 करोड़ रुपए की प्राप्ति हुई थी।
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