नई दिल्ली। दाल, दूध, तेल और मसालों की कीमत बढ़ने और त्योहारी सीजन में औद्योगिक मांग बढ़ने से अक्टूबर माह में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 5 फीसदी हो गई है, जो कि इससे पहले सितंबर में 4.41 फीसदी थी। पिछले चार माह में अक्टूबर माह की महंगाई दर सबसे ज्यादा है। महंगाई बढ़ने की वजह से आरबीआई की नीतिगत दरों में कटौती होने की संभावना भी कम हो गई है। आरबीआई अगले महीने अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा करने वाली है। भारत में खुदरा महंगाई धीरे-धीरे बढ़ रही है, लेकिन प्रमुख खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोत्तरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के लिए चुनौती भी है।
अक्टूबर महीने में त्योहारों की वजह से कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और खाद्य वस्तुओं की ज्यादा मांग ने भी महंगाई बढ़ाने में मदद की है। गुरुवार को सरकार द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 5 फीसदी हो गई है। पिछले तीन माह से खुदरा महंगाई में लगातार इजाफा हो रहा है। सितंबर में खुदरा महंगाई दर 4.41 फीसदी थी।
रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा था कि केंद्रीय बैंक को उम्मीद है कि वह अपने 6 फीसदी खुदरा महंगाई लक्ष्य को जनवरी तक हासिल कर लेगा और इसके बाद फोकस मार्च 2017 तक इसे 5 फीसदी करने पर होगा। सितंबर में आरबीआई ने नीतिगत दरों में 0.50 फीसदी की कटौती कर इसे 6.75 फीसदी किया था। जानकारों का कहना है कि रिजर्व बैंक दिसंबर में आने वाली समीक्षा बैठक में नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं कर सकता है और वह यूएस फेडरेल के ब्याज दरों पर निर्णय का इंतजार करेगा।
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