नई दिल्ली। भारत में महिलाओं को मिलने वाला वेतन पुरुषों के मुकाबले औसतन 18.8 फीसदी कम है। यह अंतर वैश्विक औसत से कहीं ज्यादा है और इसका कारण ऊंचे वेतन वाली नौकरियों और इंडस्ट्री में महिलाओं की भागीदारी कम होना है। यह बात कोर्न फेरी हे समूह की एक रिपोर्ट से सामने आई है। इसके अनुसार अनुसार वैश्विक स्तर पर महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले 17.6 फीसदी कम वेतन मिलता है, जबकि भारत में यह अंतर 18.8 फीसदी है।
समूह की इकाई पेनेट ने इस रिपोर्ट के सिलसिले में 33 देशों के 80 लाख से ज्यादा कर्मचारियों के डाटा का अध्ययन किया, जिसमें भारत के 57,000 नौकरीपेशा लोग शामिल हैं। हे समूह के विश्वस्तरीय वेतन मामलों के विशेषज्ञ बेन फ्रोस्ट ने कहा, हमारे आंकड़े के अनुसार जब बात स्त्री-पुरुष के आधार पर वेतन दिए जाने की आती है तो एक ही कंपनी में समान काम करने वाले पुरुष और महिला के वेतन में अंतर होता है। कुछ मामलों में यह समान होता है लेकिन फिर भी इसका झुकाव पुरुषों के पक्ष में 1.6 फीसदी अधिक होता है। भारत में समान काम के लिए यही अंतर साढ़े तीन फीसदी है।
फ्रोस्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति स्वीडन से लेकर दक्षिण अफ्रीका तक समान रूप से आंकड़ों में दिखती है। वेतन में अंतर की सबसे बड़ी वजह ज्यादा भुगतान करने वाले उद्योगों में महिलाओं का वरिष्ठ पदों और नेतृत्व करने वाले पदों पर कम होना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तेल एवं गैस, तकनीक और लाइफ साइंसेज जैसे ज्यादा वेतन देने वाले क्षेत्रों में महिलाओं की संख्या कम हैं। इसके अतिरिक्त कम वेतन वाले क्षेत्र जैसे कि पर्यटन, होटल इत्यादि में भी बड़े और प्रबंधन पदों और ज्यादा वेतन वाले पदों पर पुरुषों का दबदबा है भले ही इस क्षेत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व उनसे ज्यादा हो। पे नेट डाटाबेस के पास 110 देशों की 25,000 कंपनियों के दो करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों का ब्यौरा है।
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