इंटरनेट का जितनी तेजी से बढ़ रहा है इस्तेमाल, उतना ज्यादा ही देश में बढ़ रहे हैं साइबर क्राइम
जितनी अविश्वसनीय गति से डिजिटल इंडिया का प्रसार हो रहा है उसके साथ एक बुराई भी उतनी तेजी से बढ़ रही है और यह साइबर क्राइम ।
नई दिल्ली। वर्ष 2020 तक भारत में 17.5 करोड़ ई-शॉपर्स होंगे और जून 2016 के अंत तक देश में 46.2 करोड़ इंटरनेट यूजर हो जाएंगे। जितनी अविश्वसनीय गति से डिजिटल इंडिया का प्रसार हो रहा है उसके साथ एक बुराई भी उतनी तेजी से बढ़ रही है और यह है साइबर क्राइम। भारत में एक साइबर क्राइम की औसत कीमत 16,000 रुपए है और यहां 11.3 करोड़ भारतीय हर साल साइबर अपराध का शिकार होते हैं और प्रत्येक प्रभावित नागरिक को यह रकम डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तौर पर चुकानी पड़ती है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले 10 सालों के दौरान भारत में साइबर क्राइम की संख्या में 19 गुना ज्यादा वृद्धि हुई है। 2005 में साइबर क्राइम से संबंधित केवल 481 मामले दर्ज किए गए थे, जिनक संख्या 2014 में बढ़कर 9622 हो गई। पुलिस विभाग की सक्रियता के चलते इस दौरान साइबर क्राइम से जुड़े अपराधियों की गिरफ्तारी की संख्या भी बढ़ी है। 2005 में 569 सायबर अपराधियों को पकड़ा गया, जबकि 2014 में यह संख्या बढ़कर 5752 हो गई।
वास्तव में, साइबर अपराध के हब के रूप में भारत की छवि पूरी दुनिया में विख्यात है। वर्तमान में भारत दुनिया में तीसरा ऐसा सबसे बड़ा देश है, जहां सबसे ज्यादा साइबर क्राइम होते हैं। इतना ही नहीं हैकिंग के मामले में दुनियाभर में भारत का दूसरा स्थान है। ओरिजिन ऑफ वेब अटैक के मामले में भारत का स्थान दुनिया में चौथा और नेटवर्क अटैक के मामले में आठवां है।
सरकार ने बनाई स्पेशल टास्क फोर्स
देश में बढ़ते साइबर क्राइम को रोकने के लिए सरकार ने मिलिट्री स्टाइल में एक सीक्रेट टास्क फोर्स का गठन किया है, जो हाई लेवल की टेक्नोलॉजी और स्ट्रैट्जी की मदद से भारत में साइबर क्राइम को रोकने का काम कर रही है। पिछले साल देश में चाइल्ड पोर्नोग्राफी को बढ़ते ग्राफ को देखते हुए साइबर क्राइम को-ऑर्डीनेशन सेंटर (आईसी4) का गठन किया गया था। साइबर अपराधियों से निपटने के लिए आईसी4 को 400 करोड़ रुपए का स्पेशल बजट भी सरकार की ओर से आबंटित किया गया है।