नई दिल्ली। बढ़े खर्च को पूरा करने के लिए राजस्व बढ़ाने हेतु वित्त मंत्री अरुण जेटली को इनडायरेक्ट टैक्स बढ़ाने होंगे या कोई नए टैक्स पेश करने होंगे। सर्विस टैक्स की दर को पिछले साल बढ़ाकर 14.5 फीसदी किया गया है। जीएसटी में इसके लिए 18 फीसदी की दर का जो प्रस्ताव है, उसके मद्देनजर सर्विस टैक्स में कुछ बढ़ोतरी हो सकती है।
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इसी तरह चर्चा है कि पिछले साल लगाए गए स्वच्छ भारत उपकर की तरह स्टार्ट अप इंडिया या डिजिटल इंडिया पहल के लिए धन जुटाने को लेकर नया उपकर लगाया जा सकता है। वित्त मंत्री के एजेंडा पर निवेश चक्र में सुधार भी शामिल होगा। 2015-16 में पूंजीगत खर्च इससे पिछले वित्त वर्ष से 25.5 फीसदी बढ़ा है। लेकिन जीडीपी के प्रतिशत के हिसाब से यह अभी भी 1.7 फीसदी पर अटका हुआ है, जिसे 2 फीसदी करने की जरूरत है।
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उनके सामने बुनियादी ढांचा क्षेत्र में खर्च बढ़ाने की चुनौती होगी। इसके अलावा निजी निवेश वांछित रफ्तार से नहीं बढ़ने की वजह से सार्वजनिक खर्च बढ़ाने की भी चुनौती होगी। यह देखने वाली बात होगी कि जेटली अपनी जेब ढीली करते हैं या फिर मजबूती की राह पर ही कायम रहते हैं। यदि सरकार खर्च बढ़ाने का फैसला करती है, तो यह सुनिश्चित करने की चुनौती होगी कि वह कैसे धन को पूंजीगत निवेश में ला पाती है।
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