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Big Challenge: तीसरी बार मुख्‍यमंत्री बन रहे नीतीश कुमार, बिहार में तेज आर्थिक विकास की है चुनौती

नीतीश कुमार के सामने अब अगली चुनौती स्‍थायी सरकार का गठन और बिहार की अर्थव्‍यवस्‍था में तेज विकास लाना है।

Big Challenge: तीसरी बार मुख्‍यमंत्री बन रहे नीतीश कुमार, बिहार में तेज आर्थिक विकास की है चुनौती- India TV Paisa Big Challenge: तीसरी बार मुख्‍यमंत्री बन रहे नीतीश कुमार, बिहार में तेज आर्थिक विकास की है चुनौती

नई दिल्‍ली। बिहार में नीतीश कुमार तीसरी बार लगातार मुख्‍यमंत्री का पद संभालने जा रहे हैं। शनिवार को महागठबंधन ने नीतीश कुमार को अपना नेता चुना है, इससे उनके तीसरी बार मुख्‍यमंत्री बनने का रास्‍ता साफ हो गया है। नीतीश कुमार के सामने अब अगली चुनौती स्‍थायी सरकार का गठन और राज्‍य की अर्थव्‍यवस्‍था में तेज विकास लाना है। इसमें भी सबसे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण है राज्‍य के विकास की रणनीति और युवाओं के लिए रोजगार मुहैया कराना।

तेज ग्रोथ की जरूरत

बिहार को चीन की तरह ग्रोथ करने की जरूरत है। प्रति व्‍यक्ति आय के मामले में यह बहुत पीछे है और इसकी अर्थव्‍यवस्‍था भी बहुत छोटी है। इस संदर्भ में, पिछले 10 सालों में बिहार की 9.3 फीसदी चक्रवृद्धि औसत विकास दर (सीएजीआर) बहुत कम है, जहां 40 फीसदी जनसंख्‍या गरीबी रेखा से नीचे रहती है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2014-15 में राज्‍य की अर्थव्‍यवस्‍था देश में 14वीं बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है। 2004-05 में जब नी‍तीश कुमार पहली बार मुख्‍यमंत्री बने थे तब इसका स्‍थान 15वां था। 2014-15 में अर्थव्‍यवस्‍था का आकार 1,89,789 करोड़ रुपए अनुमानित है। महाराष्‍ट्र, जहां बिहार से कई लोग विस्‍थापित होकर रोजगार की तलाश में यहां आते हैं, इस मामले में इससे पांच गुना बड़ा है, इसकी अर्थव्‍यवस्‍था का आकार 9,47,550 करोड़ रुपए है।

कमाई में भारी अंतर

बिहार में लोगों की आय दिल्‍ली में रहने वालों से काफी कम है। यहां की प्रति व्‍यक्ति आय 36,143 रुपए है, जबकि दिल्‍ली में प्रति व्‍यक्ति आय 2,40,849 रुपए है। पड़ोसी राज्‍य उत्‍तर प्रदेश में प्रति व्‍यक्ति आय 40,373 रुपए है। रंगराजन कमे‍टी के 2011-12 के प्रति व्‍यक्ति मासिक उपभोग खर्च आंकड़ों के मुताबिक बिहार की 40 फीसदी जनसंख्‍या, तकरीबन 4.4 करोड़, गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है। पिछले एक दशक में कंस्‍ट्रक्‍शन और टेलिकम्‍यूनिकेशन के क्षेत्र में अच्‍छी ग्रोथ आई है। लेकिन यहां और अधिक कारोबारी निवेश की आवश्‍यकता है, जिससे ग्रोथ के साथ ही युवाओं के लिए रोजगार भी पैदा किए जा सकें।

सबसे कम इंडस्‍ट्री

पिछले 10 सालों में भले ही बिहार में कानून व्‍यवस्‍था में सुधार आया हो, बावजूद इसके अभी भी राज्‍य को निवेश आकर्षित करने के लिए बहुत काम करने की जरूरत है। वर्ल्‍ड बैंक और डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी और प्रमोशन द्वारा ईज ऑफ डूईंग बिजनेस पर तैयार की गई लिस्‍ट में बिहार 21वें नंबर पर है, जो इसे कारोबार के लिए आकर्षक स्‍थान नहीं बनाता है। इसके मुकाबले अन्‍य गरीब और पिछड़े राज्‍य जैसे झारखंड और छत्‍तीसगढ़ क्रमश: तीसरे और चौथे नंबर पर हैं। इन राज्‍यों ने अपने यहां कई सुधारवादी कदम उठाए हैं, जिसमें बिहार अभी भी पीछे है। वर्तमान में बिहार सबसे कम इंडस्‍ट्री वाला राज्‍य है।

इंडस्‍ट्री के वार्षिक सर्वे के मुताबिक 2012-13 में बिहार में केवल 3,345 इंडस्‍ट्री हैं, जिनमें 1,00,512 लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इसकी तुलना में तमिलनाडु में 36,869 इंडस्‍ट्री हैं और यहां 16,02,447 लोगों को रोजगार मिला हुआ है।

विस्‍थापन को रोकना

राज्‍य से विस्‍थापन को रोकना बहुत जरूरी है। इसके लिए नीतीश कुमार को कृषि रोजगार पर भी बहुत अधिक ध्‍यान देना होगा, क्‍योंकि यहां की मिट्टी बहुत उपजाऊ है और यहां सिंचाई की बेहतर सुविधा भी है। बिहार में सबसे ज्‍यादा युवा जनसंख्‍या है और यहां के लोग पंजाब, हरियाणा, दिल्‍ली, मुंबई तक ही नहीं बल्कि दक्षिण के राज्‍यों तक में काम के लिए जाते हैं। इसके अलावा शिक्षा और कौशल विकास पर भी विशेष ध्‍यान देना होगा।

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