मंदी के बीच IMF ने दी राहत: कहा- कॉर्पोरेट टैक्स घटाने से भारत में बढ़ेगा निवेश, 2020 में GDP ग्रोथ 7% तक संभव
आईएमएफ ने मोदी सरकार के कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के फैसले की सराहना की है, साथ ही कहा है कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की वजह से देश में निवेश बढ़ेगा।
नई दिल्ली। दुनियाभर में छायी मंदी के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने केंद्र की मोदी सरकार के लिए एक राहत की खबर दी है। आईएमएफ ने मोदी सरकार के कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के फैसले की सराहना की है, साथ ही कहा है कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की वजह से देश में निवेश बढ़ेगा। हालांकि, इसने यह भी कहा कि भारत को वित्तीय एकीकरण की दिशा में आगे बढ़ते रहना चाहिए और लॉन्ग टर्म में वित्तीय स्थिति में स्थिरता हासिल करे।
एक न्यूज कॉन्फ्रेंस के दौरान आईएमएफ के डायरेक्टर (एशिया एंड पैसिफिक डिपार्टमेंट), चेंगयॉन्ग री ने कहा कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.1% रहने की उम्मीद है, साल 2020 में यह 7 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। चेंगयॉन्ग री ने ये भी कहा 'हम मानते हैं कि भारत के पास अभी फिस्कल स्पेस सीमति है, इसलिए उन्हें सावधान रहना है। हम उनके कॉर्पोरेट टैक्स में कमी के फैसले का समर्थन करते हैं, क्योंकि इसका निवेश पर सकारात्मक असर होगा।'
आईएमएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी की ओर से भी कहा गया है कि मोनेटरी पॉलिसी का प्रोत्साहन और कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की घोषणा से निवेश में तेजी आने की उम्मीद है। उधर एशिया ऐंड पसिफिक डिपार्टमेंट की डिप्टी डायरेक्टर एन्ने-मैरी गुल्डे-वॉफ ने कहा कि भारत को नॉन बैंकिंग फाइनैंस सेक्टर के मुद्दों का समाधान करना चाहिए। हालांकि, सरकारी बैंकों को पूंजी मुहैया करवाने जैसे प्रयासों से बैंकिंग सेक्टर में सुधारों की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा, 'वहां हाल ही में कई सुधार हुए हैं, जिनका फायदा अभी आना बाकी है, इनमें सरकारी बैंकों का रि-कैपिटलाइजेशन भी शामिल है।' उन्होंने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए जागरुक है। साथ ही एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत में कर्ज इस समय उच्च स्तर पर है और राजस्व समेकन को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। दूसरी तरफ हाल ही में नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा है कि कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का लाभ नहीं होगा।
कॉर्पोरेट टैक्स में कितनी कटौती
दरअसल, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर 5 प्रतिशत तक गिरने के बाद बीते दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कॉरपोरेट टैक्स कटौती का ऐलान किया था। इसके तहत अब घरेलू कंपनियों पर बिना किसी छूट के इनकम टैक्स 22 फीसदी होगा वहीं इसमें सरचार्ज और सेस जोड़ने के बाद कंपनी को 25.17 फीसदी टैक्स देना होगा। पहले यह दर 30 प्रतिशत थी। सरकार के इस फैसले का फायदा देश की उन बड़ी कंपनियों को मिलेगा जो पहले 30 फीसदी के कॉरपोरेट टैक्स स्लैब में आती थीं। कॉरपोरेट टैक्स को सरकार के रेवेन्यू का अहम हिस्सा माना जाता है। सरकार के नए फैसले के बाद राजस्व पर 1.45 लाख करोड़ रुपए का बोझ पड़ने की आशंका है।
नए निवेश पर राहत
इसके साथ ही सरकार ने नए निवेश करने वाली घरेलू कंपनियों को भी टैक्स के मोर्चे पर राहत दी। अब 1 अक्टूबर 2019 के बाद मैन्युफैक्चरिंग कंपनी स्थापित करने वाले कारोबारियों को 15 फीसदी की दर से इनकम टैक्स देना होगा। इससे पहले नए निवेशकों को 25 फीसदी की दर से टैक्स देना होता था। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार के इस फैसले से कारोबारी नई कंपनियों पर जोर देंगे। वहीं सुस्त पड़ चुकी स्टार्टअप योजना को भी बढ़ावा मिल सकता है, ऐसी स्थिति में नए रोजगार का सृजन होगा।
जीडीपी के मोर्चे पर दिया था झटका
बता दें कि बीते मंगलवार को आईएमएफ ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भारत की जीडीपी ग्रोथ अनुमान को घटा दिया था। आईएमएफ के मुताबिक 2019 में जीडीपी ग्रोथ 6.1 फीसदी रह सकती है। हालांकि उसे उम्मीद है कि 2020 में इसमें सुधार होगा और तब देश की ग्रोथ रेट 7 फीसदी पर रह सकती है। यह (2019 की दर) 2018 में भारत की वास्तविक जीडीपी ग्रोथ 6.8 फीसदी से भी कम है। (इनपुट-पीटीआई)