वाशिंगटन। भारत की अर्थव्यवस्था नोटबंदी तथा जीएसटी के क्रियान्वयन से उबर गयी है और इसकी वृद्धि चालू वित्त वर्ष 2018-19 में 7.4 प्रतिशत तथा आगे और बढ़ कर 7.8 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की रपट के अनुसार एशिया इस समय दुनिया की अर्थव्यवस्था का मुख्य इंजन बना हुआ है और वैश्विक आर्थिक वृद्धि में इस क्षेत्र का योगदान 60 प्रतिशत से अधिक है। इसमें तीन चौथाई हिस्सा चीन और भारत का है।
हालांकि IMF की रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले समय में जोखिम और चुनौतियां हैं। इसमें वैश्विक वित्तीय स्थिति का कड़ा होना , संरक्षणवाद की ओर बढ़ना , उम्रदराज आबादी , उत्पादकता में धीमी वृद्धि तथा डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना शामिल हैं। एशिया में इस साल और अगले वर्ष आर्थिक वृद्धि दर 5.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसका आधार मजबूत वैश्विक मांग के साथ - साथ उदार नीतियां तथा वित्तीय स्थिति हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वृद्धि दर वित्त वर्ष 2018-19 में 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसका कारण अर्थव्यवस्था का नोटबंदी तथा माल एवं सेवा कर (GST) के क्रियान्वयन से जुड़ी समस्याओं से उबरना है। वहीं चीन में आर्थिक वृद्धि दर चालू वर्ष में 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो अगले साल थोड़ा नरम होकर 6.4 प्रतिशत रह सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक एशिया में मुद्रास्फीति की दर अभी कम है और यह कई दशकों का न्यूनतम स्तर है। लेकिन कच्चे तेल के दाम में वृद्धि के कारण सितंबर 2017 से इसमें वृद्धि हो रही है।
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