नयी दिल्ली। आईएलएफएस (IL&FS) की अंतरिम ऑडिट रपट के खुलासों पर हो रहे विवादों में खुद को फंसा पाने पर इंडिया रेटिंग्स ने शनिवार को कहा कि उसकी मातृ कंपनी फिच के सिंगापुर कार्यालय ने इस मामले में वरिष्ठ निदेशक की भूमिका की जांच की है। जांच में पाया गया कि अधिकारी ने कंपनी की आचार संहिता का उल्लंघन किया और अब वह कंपनी का कर्मचारी नहीं है।
इंडिया रेटिंग्स ने कंपनी की रेटिंग में अपनायी गयी प्रक्रिया को सही बताया और कहा कि उसने इस काम में कंपनी से प्राप्त सूचनाओं का कड़ाई और पारदर्शिता के साथ विश्लेषण किया था। इसमें कंपनी के ऑडिट किए गए वित्तीय दस्तावेजों का विश्लेषण भी शामिल है। रेटिंग एजेंसी ने फोरेंसिक जांच में आयी खामियों का ठीकरा आईएलएफएस समूह के पूर्व शीर्ष प्रबंधकों पर फोड़ने का प्रयास किया है। उसका कहना है कि पूर्व प्रबंधकों ने कारोबार के बारे में गलत सूचनाएं दी और वित्तीय स्थिति पर लीपापोती की थी।
इंडिया रेटिंग्स ने आईएलएफएस का फॉरेंसिक ऑडिट करने वाली कंपनी ग्रांट थॉर्टन की रपट के विश्लेषण को खारिज कर दिया। ग्रांट थॉर्टन ने अपनी अंतरिम ऑडिट रपट में कहा है कि पांच क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां आईएलएफएस समूह (IL&FS group) को उसकी वित्तीय हालत खराब होने के बावजूद लगातार बेहतर रेटिंग देती रही। इन एजेंसियों में इंडिया रेटिंग्स भी शामिल है।
इस ऑडिट रपट में यह भी कहा गया है कि आईएलएफएस के पूर्व शीर्ष प्रबंधन ने रेटिंग एजेंसियों की रेटिंग अपने पक्ष में करने के लिए एजेंसियों के शीर्ष प्रबंधन अधिकारियों को विभिन्न तरह के तोहफे या लाभ इत्यादि दिए। यहां तक कि एजेंसियों को दूसरी एजेंसी के पास जाने की धमकियां भी दी गयीं। इस पर प्रतिक्रिया में इंडिया रेटिंग्स के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि यह रपट हमारी भागीदारी या अनुमति के बिना पेश की गयी। इसके सार्वजनिक होने से पहले तक हम इससे अनभिज्ञ थे।
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