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IDFC बैंक और श्रीराम कैपिटल के बीच विलय पर बनी सहमति, बढ़ेगा नए बैंक का कारोबार

निजी क्षेत्र के IDFC बैंक और श्रीराम समूह की होल्डिंग कंपनी श्रीराम कैपिटल ने आपस में विलय की संभावनाएं तलाशने को लेकर एक सहमति बनाई है।

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नई दिल्‍ली। निजी क्षेत्र के IDFC बैंक और श्रीराम समूह की होल्डिंग कंपनी श्रीराम कैपिटल ने आपस में विलय की संभावनाएं तलाशने को लेकर एक सहमति बनाई है। इनका विलय होने पर देश में खुदरा कर्ज कारोबार करने वाला एक बड़ा बैंक बनेगा और उसकी वैल्यू 65,000 करोड़ रुपए से अधिक होगी। श्रीराम कैपिटल के चेयरमैन अजय पीरामल ने दोनों कंपनियों के निदेशक मंडलों की बैठकों के बाद कहा कि दोनों कंपनियों के प्रबंधन को विलय की संभावनाएं तलाशने के लिए 90 दिन का समय दिया गया है। इसके बाद शेयरों की अदला-बदली का अनुपात तय किया जाएगा।

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पीरामल ने बताया कि विलय के बाद श्रीराम ट्रांसपोर्ट कैपिटल एक अलग इकाई बनी रहेगी। इसको छोड़कर, श्रीराम सिटी यूनियन सहित श्रीराम समूह की अन्य सभी कारोबारी कंपनियां इस बैंक में मिला दी जाएंगी। विलय के बाद तैयार होने वाली इकाई का खुदरा कर्ज कारोबार 20,000 करोड़ रुपए का होगा।

IDFC बैंक के राजीव लाल ने कहा कि विलय योजना को 12 महीने में पूरा करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि शेयरों की अदला-बदली का अनुपात जांच-परख की 90 दिन की अवधि के बाद तय किया जाएगा। कंपनियों का कहना है कि इस विलय से IDFC बैंक को जहां एक तरफ अपना ब्रांच नेटवर्क बढ़ाने में मदद मिलेगी और वह 1000 ब्रान्चों तक पहुंच जाएगा वहीं श्रीराम समूह को भी थोक का कारोबार मिलेगा।

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श्रीराम कैपिटल की प्रमुख कंपनियों में सूचीबद्ध कंपनी श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस और श्रीराम सिटी यूनियन फाइनेंस प्रमुख हैं। इसके अलावा गैर-सूचीबद्ध जीवन बीमा और साधारण बीमा कारोबार भी समूह का हिस्सा है। ये सभी IDFC में मिलाए जा सकते हैं। आईटीएफसी की IDFC बैंक में 52.86 प्रतिशत हिस्सेदारी है। IDFC बैंक की शुरुआत 2015 में हुई। IDFC को बैंक लाइसेंस मिलने के बाद इसने अपनी मूल कंपनी IDFC लिमिटेड इन्फ्रा की संपत्तियों को शामिल कर लिया। श्रीराम ट्रांसपोर्ट और श्रीराम सिटी यूनियन प्रत्येक में उसकी 10-10 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

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