ICRA ने GDP ग्रोथ अनुमान बढ़ाया, टीकाकरण और कृषि से सकारात्मक संकेतों का असर
इससे पहले रिजर्व बैंक ने अनुमान दिया था कि इस वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था 9.5 प्रतिशत की बढ़त दर्ज कर सकती है।
नई दिल्ली। रेटिंग एजेंसी इकरा ने भारत के लिये वित्त वर्ष 2021-22 के लिये जीडीपी ग्रोथ अनुमान को बढ़ा दिया है। सोमवार को जारी अनुमान के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था 9 प्रतिशत की तेजी के साथ बढ़ सकती है, पहले 8 प्रतिशत की ग्रोथ का अनुमान दिया गया था। रेटिंग एजेंसी के मुताबिक कोविड टीकाकरण में तेजी, खरीफ फसलों को लेकर बेहतर अनुमान और सरकार के द्वारा जारी खर्चों को देखते हुए अनुमान को संशोधित किया गया। गौरतलब है कि 2020-21 में 7.3 प्रतिशत की गिरावट के बाद इस वित्त वर्ष में तेज रिकवरी की उम्मीद थी, हालांकि दूसरी लहर की वजह से विश्लेषक ग्रोथ को लेकर अब थोड़ा सतर्क रुख रख रहे हैं। इससे पहले रिजर्व बैंक ने अनुमान दिया था कि इस वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था 9.5 प्रतिशत की बढ़त दर्ज कर सकती है।
अपनी रिपोर्ट में रेटिंग एजेंसी ने कहा कि उसे उम्मीद है कि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में संभावनाएं बेहतर होंगी। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, “कोविड 19 टीकों की कवरेज से उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था का आत्मविश्वास बढ़ेगा जिससे कोविड से बुरी तरह प्रभावित हुए सेक्टर में मांग बढ़ेगी और महामारी से सबसे अधिक दबाव वाले अर्थव्यवस्था के हिस्से की रिकवरी में मदद मिलेगी।” उन्होंने कहा कि खरीफ की अच्छी फसल से कृषि क्षेत्र में मांग बनी रहने की संभावना है, जबकि केंद्र सरकार द्वारा खर्च बढ़ाने से मांग को और सहारा मिलेगा। उन्होंने कहा कि 9 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि के संशोधित अनुमान के लिये सबसे बड़ा जोखिम संभावित तीसरी लहर है।
इसके साथ ही इक्रा ने अनुमान दिया कि 1 से 26 सितंबर के बीच 90 लाख खुराकों के औसत को आगे भी बरकरार रखा जाता है तो लगभग तीन-चौथाई भारतीय वयस्क को 2021 के अंत तक अपना दूसरा टीका मिल जायेगा। इसके साथ ही देर से बुवाई की वजह से खरीफ का रकबा पिछले साल के रिकॉर्ड क्षेत्र के बराबर लाने में मदद मिली है। जिससे एजेंसी ने 2021-22 की दूसरी और तीसरी तिमाही में कृषि, वानिकी और मछली पकड़ने के लिए अपने जीवीए (सकल मूल्य वर्धित) विकास अनुमान को संशोधित कर 3 प्रतिशत कर दिया है, जो पहले 2 प्रतिशत की वृद्धि का था। हालांकि, इसने कहा कि सितंबर 2021 में औद्योगिक क्षेत्र के रुझान में कमी है, सेमी-कंडक्टर की अनुपलब्धता से ऑटो सेक्टर पर दबाव है।
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