नई दिल्ली। आयकर विभाग 20,000 रुपए व इससे अधिक राशि की ऋण जमाओं के चुनिंदा मामलों में जांच कर दंडात्मक कार्रवाई शुरू कर सकता है। उल्लेखनीय है कि विभाग ने नोटबंदी की अवधि में विभिन्न खातों में बड़ी मात्रा में नकदी जमाओं के मामलों की पड़ताल शुरू की है। विभाग ने संदिग्ध जमाओं के मामले में 18 लाख लोगों को एसएमएस व ईमेल कर जानकारी मांगी है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है, अगर किसी मामले में अनुमति योग्य सीमा से ऊपर की नकदी ऋण प्राप्ति या भुगतान मद में पाई जाती है तो आकलन अधिकारी संबद्ध प्रावधानों के तहत अलग से दंडात्मक कार्रवाई शुरू कर सकता है।
- हालांकि एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि इस बारे में कार्रवाई का फैसला समुचित प्रक्रिया के बाद ही किया जाएगा, जिसमें करदाता से संपर्क करना व उस लेनदेन विशेष के बारे में सारी जानकारी लेना शामिल है।
- विभाग ये सुनिश्चित करेगा कि कर चोरी का मौका नहीं मिले साथ ही करदाताओं को परेशान भी नहीं किया जाए।
कर विभाग ने एजेंसियों के साथ सूचना साझा करने पर पाबंदी हटाई
कर विभाग ने अपने अधिकारियों द्वारा अन्य प्राधिकरण या एजेंसियों के साथ कर और विदेशी विनिमय के संदर्भ में सूचना साझा करने पर पाबंदी हटा दी है। कालेधन पर प्रभावी रूप से निपटने के लिए यह कदम उठाया गया है।
- राजस्व विभाग ने आयकर कानून की धारा 138 में पूर्व की तिथि 23 मई 2003 से बदलाव किया है। यह धारा कर अधिकारियों द्वारा करदाता के बारे में अन्य प्राधिकरणों को सूचना के खुलासे से जुड़ी है।
- 2003 की अधिसूचना के जरिये कुछ अपवादों को छोड़कर किसी व्यक्ति या प्राधिकरण के साथ सूचना साझा करने पर रोक लगाई गई थी।
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