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Hindi News पैसा बिज़नेस मैंने अपने ट्रैक्टर को सीएनजी वाहन में बदल लिया है: नितिन गडकरी

मैंने अपने ट्रैक्टर को सीएनजी वाहन में बदल लिया है: नितिन गडकरी

सड़क परिवहन मंत्री ने यह बात ऐसे वक्त कही है जब कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय दामों में उछाल से देश में पेट्रोलियम ईंधनों के दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं जिससे आम आदमी पर महंगाई का बोझ बढ़ गया है।

मैंने अपने ट्रैक्टर को सीएनजी वाहन में बदल लिया है: नितिन गडकरी- India TV Paisa Image Source : PTI मैंने अपने ट्रैक्टर को सीएनजी वाहन में बदल लिया है: नितिन गडकरी

इंदौर: कच्चे तेल और ईंधन गैसों के आयात पर निर्भरता घटाने के लिए देश में जैव ईंधन के उत्पादन की रफ्तार बढ़ाने पर जोर देते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को कहा कि उन्होंने खुद पहल करते हुए अपने ट्रैक्टर को सीएनजी वाहन में बदल लिया है। गडकरी, प्रसंस्करणकर्ताओं के संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के इंदौर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सोयाबीन सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंस से संबोधित कर रहे थे। 

उन्होंने कहा, "खुद मैंने अपने (डीजल चालित) ट्रैक्टर को सीएनजी से चलने वाले वाहन में बदल दिया है। कच्चे तेल और ईंधन गैसों के आयात पर निर्भरता घटाने के लिए हमें सोयाबीन, गेहूं, धान, कपास आदि फसलों के खेतों की पराली (फसल अपशिष्ट) से बायो-सीएनजी और बायो-एलएनजी सरीखे जैव ईंधनों के उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए। इससे किसानों को खेती से अतिरिक्त आमदनी भी होगी।" 

सड़क परिवहन मंत्री ने यह बात ऐसे वक्त कही है जब कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय दामों में उछाल से देश में पेट्रोलियम ईंधनों के दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं जिससे आम आदमी पर महंगाई का बोझ बढ़ गया है। गडकरी ने यह भी बताया कि फिलहाल भारत अपनी जरूरत का 65 प्रतिशत खाद्य तेल आयात कर रहा है और देश को इस आयात पर हर साल एक लाख 40 हजार करोड़ रुपये का खर्च करने पड़ रहे हैं। 

उन्होंने कहा, "इस आयात के कारण एक ओर देश के उपभोक्ता बाजार में खाद्य तेलों के भाव ज्यादा हैं, तो दूसरी ओर तिलहन उगाने वाले घरेलू किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है।" गडकरी ने जोर देकर कहा कि खाद्य तेल उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता का लक्ष्य हासिल करने के लिए देश में सरसों के जीन संवर्धित (जीएम) बीजों की तर्ज पर सोयाबीन के जीएम बीजों के विकास की दिशा में आगे बढ़ा जाना चाहिए क्योंकि सोयाबीन के मौजूदा बीजों में अलग-अलग कमियां हैं। 

उन्होंने कहा, "(सोयाबीन के जीएम बीजों को लेकर) मेरी प्रधानमंत्री से भी चर्चा हुई है और मुझे पता है कि देश में कई लोग खाद्य फसलों के जीएम बीजों का विरोध करते हैं। लेकिन हम दूसरे देशों से उस सोयाबीन तेल के आयात को नहीं रोक पाते, जो जीएम सोयाबीन से ही निकाला जाता है।" केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि खासकर आदिवासी इलाकों में कुपोषण दूर करने के लिए सोया खली (सोयाबीन का तेल निकाल लेने के बाद बचने वाला पदार्थ) से खाद्य उत्पाद बनाने पर विस्तृत अनुसंधान की आवश्यकता है। 

उन्होंने कहा, "हमारे देश में कई इलाकों में प्रोटीन की कमी से कुपोषण के कारण आदिवासी समुदाय के हजारों लोगों की मृत्यु हो रही है। सोया खली में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है।" गडकरी ने भारत के कृषि वैज्ञानिकों से अपील की कि वे सोयाबीन की प्रति एकड़ उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए इस तिलहन फसल के शीर्ष वैश्विक उत्पादकों-अमेरिका, ब्राजील और अर्जेंटीना के साथ बीज विकास के साझा विकास कार्यक्रम शुरू करने की कोशिश करें।

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