एक लाख करोड़ रुपए की सब्सिडी हर साल जा रही है अमीरों की जेब में
आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि केवल सात उत्पादों और सेवाओं के जरिये कैसे हर साल एक लाख करोड़ रुपए की सब्सिडी अमीरों की जेब में जा रही है।
नई दिल्ली। क्या आप सोचते हैं कि सब्सिडी की राजनीति केवल निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों के इर्दगिर्द चलती है। यदि हां, तो आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि केवल सात उत्पादों और सेवाओं के जरिये कैसे हर साल एक लाख करोड़ रुपए की सब्सिडी अमीरों की जेब में जा रही है। सब्सिडी का यह आंकड़ा और भी बड़ा हो सकता है, यदि किसी एक व्यक्ति द्वारा सभी तरह की सेवाओं को हासिल किया जाए। लघु बचत योजनाओं पर टैक्स लाभ पाने वाले 62 फीसदी लोग वो हैं, जिनकी सालाना आय 4 लाख रुपए से अधिक है। क्या इन लोगों को निम्म आय वर्ग में रखा जा सकता है।
2015-16 के आर्थिक सर्वेक्षण में यह सामने आया है कि लघु बचत योजनाओं, गोल्ड, बिजली, केरोसिन, रेल किराया और हवाई ईंधन पर मिलने वाली रियायतों का सबसे ज्यादा फायदा अमीरों को पहुंच रहा है। जनसंख्या का 70 फीसदी हिस्सा अच्छी आर्थिक सेहत वाले लोगों का है, जबकि विडंबना यह है कि 30 फीसदी गरीबों पर सब्सिडी का लाभ उठाने का आरोप लगता है।
सोना जरूरत या लग्जरी?
दुनिया में कोई भी सभ्यता सोने को गरीबी से नहीं जोड़ती है। सोना संपत्ता का एक प्रतीक है। सोने पर टैक्स रियायत को किसी भी तरीके से न्यायोचित नहीं कहा जा सकता। भारत भी दुनिया के उन कुछ गिनेचुने देशों की कतार में आता है, जहां सोने पर दो फीसदी से कम टैक्स लगता है। सोने पर केंद्र और राज्या दोनों का मिलाकर कुल 1 से 1.6 फीसदी टैक्स बनता है, जबकि आज जनता आवश्यक चीजों और पेट्रोल-डीजल पर 12.5 से लेकर 25 फीसदी तक टैक्स देने को मजबूर है। आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक गोल्ड पर मिलने वाली इस टैक्स सब्सिडी का आंकड़ा 4,000 करोड़ रुपए से भी अधिक है।
एलपीजी सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी का आंकड़ा भी कुछ कम नहीं है। इसके बाजार मूल्य से तुलना करें तो भारत में एक एलपीजी सिलेंडर 36 फीसदी कम दरों पर उपलब्ध कराया जाता है। 91 फीसदी गैस कनेक्शन मध्यम वर्गीय और उच्च वर्ग के पास हैं, जिसका सीधा मतलब है कि हर साल 40,000 करोड़ रुपए की गैस सब्सिडी इनकी जेबों में ही जाती है।
सस्ते रेल किराये से अमीरों को फायदा
इसी प्रकार यदि हम देखें तो रेल किराये की लागत और सब्सिडी को देखे तो पता चलता है कि 34 फीसदी सब्सिडी का लाभ मध्यम व उच्च वर्ग के लोगों को मिल रहा है। इसके मुताबिक सालाना 3,671 करोड़ रुपए की सब्सिडी अमीरों को इस मद से जा रही है। बिजली की दरों में भी रियायत देने से 32 फीसदी सब्सिडी (दिल्ली और तमिलनाडु के सैंपल के आधार पर) उच्च श्रेणी के लोगों को मिल रही है। बिजली दरों में सब्सिडी से अमीरों की जेब में सालाना 37,170 करोड़ रुपए पहुंच रहे हैं।
हवाई ईंधन पर सब्सिडी क्यों?
सबसे रोचक बात यह है कि आखिर सरकार हवाई ईंधन पर सब्सिडी क्यों देती है। भारत में एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) पर औसतन टैक्स 20 फीसदी है, जबिक पेट्रोल और डीजल पर यह 61 फीसदी है। यहां यह बताने की जरूरत नहीं है कि एटीएफ पर मिलने वाली इस छूट का फायदा किसे मिल रहा है। एटीएफ पर सब्सिडी के तौर पर सालाना 762 करोड़ रुपए का फायदा अमीरों को पहुंचाया जा रहा है। आर्थिक सर्वेक्षण में यह कहा गया है कि सस्ता और सब्सिडीयुक्त 50 फीसदी केरोसिन अमीरों को मिल रहा है। इससे उन्हें 5,500 करोड़ रुपए का फायदा पहुंच रहा है।
लघु बचत योजनाओं का लाभ भी अमीरों की जेब में
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक लघु बचत योजनाओं पर मिलने वाले टैक्स लाभ से सालाना 12,000 करोड़ रुपए का फायदा उच्च आय वाले वर्ग को पहुंचाया जा रहा है। भारत में लघु आय पर टैक्स रियायत देना एक विवादित मुद्दा है क्योंकि इसके लाभार्थियों की पहचान ढंग से नहीं की जा सकी है। 2013-14 में लघु बचत पर दिया जाने वाला कुल टैक्स लाभ का तकरीबन 62 फीसदी हिस्सा उन लोगों के खाते में गया जिनकी सालाना आय 4 लाख रुपए से अधिक थी।