भारतीय उत्पादों को चीनी बाजार में अधिक पहुंच मिलनी चाहिए: प्रणब मुखर्जी
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भारत ने चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार को अधिक संतुलित बनाए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। चीनी बाजार में अधिक पहुंच मिलनी चाहिए।
ग्वांगझू (चीन)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भारत ने चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार को अधिक संतुलित बनाए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि औषधि, सूचना प्रौद्योगिकी और उससे जुड़ी सेवाएं और कृषि जैसे क्षेत्रों के उसके उत्पादों को चीनी के बाजार में प्रवेश का और अधिक मौका मिलना चाहिए। राष्ट्रपति मुखर्जी ने अपनी चीन की चार दिवसीय यात्रा के दूसरे दिन भारत-चीन व्यापार मंच की बैठक को संबोधित करते हुए कहा, यद्यपि व्यापार संतुलन लगातार चीन के पक्ष में झुका हुआ है, फिर भी हम अपने व्यापार का विस्तार कर इसे और अधिक संतुलित बनाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, हम चीन के बाजार में भारतीय उत्पादों की अधिक पहुंच चाहते हैं। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जरूरी है जहां दोनों देश स्वाभाविक तरीके से एक-दूसरे के पूरक हैं। इन क्षेत्रों में फार्मा, आईटी और आईटी संबद्ध सेवाएं और कृषि उत्पाद शामिल हैं। वर्ष 2015-16 में अप्रैल से जनवरी की अवधि के दौरान भारत-चीन के बीच व्यापार घाटा 44.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस अवधि में भारत का चीन को निर्यात 7.56 अरब डॉलर और भारत का चीन से आयात 52.26 अरब डॉलर रहा। वर्ष 2014-15 में दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा बढ़ कर 48.48 अरब डॉलर पर पहुंच गया था।
राष्ट्रपति ने चीनी निवेशकों को भारत में अनुकूल वातावरण का भरोसा दिलाते हुए उन्हें सरकार के मेक इन इंडिया और अन्य प्रमुख कार्यक्रमों में भागीदारी के लिए आमंत्रित किया है। इससे द्विपक्षीय व्यापार को बढ़़ाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, हम भारत में आपके निवेश को मुनाफे वाला बनाने में मदद करेंगे। हमें निश्चित रूप से दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि से पैदा होने वाले अवसरों का लाभ उठाना चाहिए। इस बैठक में दोनों देशों के उद्योगपति और कारोबारी शामिल हुए। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि चीन की आर्थिक उपलब्धि भारत के लिए एक प्रेरणा स्रोत है।
प्रणब मुखर्जी ने कहा, हमारा मानना है कि दोनों दो तरफा व्यापार और निवेश को बढ़ाने के कदम उठाने से दोनों देशों को साझा फायदा होगा। इस सदी की शुरूआत से ही भारत-चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2000 में जहां यह 2.91 अरब डॉलर था, वहीं पिछले साल यह 71 अरब डालर पर पहुंच गया। ग्वांगदोन प्रांत की 1,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था है जहां बड़े विनिर्माण और अन्य उद्योग स्थित हैं। इसे चीन के निर्यात का पावर हाउस भी कहा जाता है। गुजरात और महाराष्ट्र के साथ इसका सहयोगी प्रांत का रिश्ता है।