नई दिल्ली। एक अध्ययन के अनुसार भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली समाज की बदलती जरूरतों पर खरा नहीं उतर रही है और केवल 40 प्रतिशत कार्यकारियों का मानना है कि स्थानीय श्रम बाजारों में भर्ती किए गए नये कर्मचारियों के पास जरूरी कौशल भी है। यह अध्ययन आईबीएम इंस्टीट्यूट फॉर बिजनेस वैल्यू ने इकनोमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट के साथ मिलकर किया है। इसमें कहा गया है कि प्रतिस्पर्धी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भारत को तैयार करने में प्रतिभाओं की कमी बहुत निर्णायक साबित होगी।
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इस अध्ययन के अनुसार भारत के 61 प्रतिशत अध्येयताओं का मानना है कि देश की उच्च शिक्षा प्रणाली समाज की बदलती जरूरतों को पूरा करने में विफल रही है। इसके अनुसार, 2010 और 2030 के बीच भारत की कामकाजी जनसंख्या 75 करोड़ से बढ़कर एक अरब हो जाएगी। पर्याप्त शिक्षा व प्रशिक्षण के अभाव में जनसंख्या में यह बढ़ोतरी अपने आप में बेरोजगारी या अप्रत्यक्ष बेरोजगारी का बड़ा जोखिम है।
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