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कर्ज महंगा होने से भारतीय अर्थव्यवस्था पड़ जाएगी धीमी: जेटली

वित्त मंत्री ने कहा कि ब्याज दरों का स्तर असाधारण रूप से ऊंचा है और यदि कर्ज की ब्याज दरें ऊंची बनी रहीं तो अर्थव्यवस्था के सुस्त बन जाने का खतरा है।

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नई दिल्ली। पीपीएफ और डाकघर आधारित लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों को कम करने के हाल के निर्णय को उचित ठहराते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत में ब्याज दरों का स्तर असाधारण रूप से ऊंचा है और यदि ब्याज दरें ऊंची बनी रहीं तो भारत की अर्थव्यवस्था के सबसे सुस्त अर्थव्यवस्था बन जाने का खतरा है।

जेटली ने कहा कि लघु बचत योजनाओं पर मौजूदा 8.7 प्रतिशत की कर-मुक्त ब्याज दर वास्तव में 12-13 फीसदी बैठती है। इसके अनुरूप कर्ज की ब्याज दर 14-15 फीसदी तक होगी क्योंकि ऋण पर ब्याज जमाओं पर ब्याज से कुछ ऊपर ही रहता है। उन्होंने कहा, लघु बचतों पर भारत में ब्याज दरें असाधारण रूप से ऊंची हैं। ब्याज दर ऊंची होने से वृद्धि अवरुद्ध होती है। पीपीएफ पर 8.7 फीसदी कर मुक्त ब्याज दर की मिसाल देते हुए उन्होंने कहा कि कर लाभ को भी मिलाकर देखें तो इस पर ब्याज दर वास्तव में 12.5- 13 फीसदी बैठती है।

उन्होंने कहा, दुनिया में आपको कहां 12.5 फीसदी ब्याज का प्रतिफल मिलता है। इसलिए यदि जमा दर 12.5 फीसदी हुई तो ऋण दर क्या होगी, 14-15 फीसदी? यदि ऋण पर ब्याज दर 14-15 फीसदी हो तो आप दुनिया की सबसे सुस्त अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। जेटली ने कहा कि किसी भी देश में ऐसा नहीं हो सकता कि ऋण पर ब्याज जमा दरें से कम हों और जमा पर ब्याज ऊंचा हो। दोनों एक-दूसरे जुड़े हैं।  गौर तलब है कि सरकार ने 18 मार्च को पीपीएफ पर ब्याज दर घटाकर 8.1 फीसदी, किसान विकास पत्र पर ब्याज दर 8.7 से घटाकर 7.8 फीसदी, सुकन्या समृद्धि योजना के खातों पर ब्याज 9.2 से घटाकर 8.6 फीसदी और वरिष्ठ नागरिक बचत योजना पर ब्याजदर 9.3 से घटाकर 8.6 फीसदी करने की घोषणा की है, जो एक अप्रैल से लागू होंगी।

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