नई दिल्ली। मध्यम अवधि में भारत के ऋण-सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अनुपात में लगातार सुधार की उम्मीद है। डॉयचे बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, ऊंची आर्थिक वृद्धि और मामूली राजकोषीय मजबूती से ऐसा संभव हो पाएगा। भारत के ऋण की स्थिरता का विश्लेषण शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि मामूली GDP ग्रोथ हैरान करते हुए ऊपर की ओर जाएगी। इससे देश के ऋण के स्तर को नीचे लाने में मदद मिलेगी। यह भी पढ़ें :केंद्र सरकार ने NGT के डीजल वाहनों पर दिए ऐतिहासिक आदेश का किया विरोध, कहा – कानून के प्रावधानों से अलग है आदेश
डॉयचे बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक दास ने रिपोर्ट में कहा है कि,
हमारे विश्लेषण से निष्कर्ष निकलता है कि ऊंची आर्थिक वृद्धि और मामूली राजकोषीय मजबूती से मध्यम अवधि में देश के ऋण-GDP अनुपात में उल्लेखनीय सुधार होगा।
हाल के दशकों में भारत के सार्वजनिक ऋण-GDP अनुपात में उल्लेखनीय गिरावट आई है। यह 2005-06 के 84 फीसदी से घटकर 2016-17 में 70 फीसदी पर आ गया है। हालांकि, ऋण के स्तर में गिरावट के बावजूद अन्य उभरते बाजारों की तुलना में यह अभी भी काफी उंचा है। यह भी पढ़ें :रियल एस्टेट कानून RERA कल से होगा लागू, अब तक सिर्फ 13 राज्यों ने बनाए कानून
सिर्फ ब्राजील और मलेशिया ही ऐसे देश है जिनके सकल ऋण का स्तर भारत जितना ऊंचा है। 2016 में चीन का सकल ऋण का स्तर GDP के 40 प्रतिशत पर था।
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